जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों में रोष, मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया

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निदेशक के पद पर तत्काल किसी सक्षम अधिकारी को नियोजित करने की मांग

जयपुर। राज्य सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का जन—जन तक प्रचार—प्रसार करने में राज्य के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग का अहम योगदान है। लेकिन पिछले कुछ समय से विभाग के निदेशक द्वारा ऐसे प्रतिकूल निर्णय किए जा रहे हैं, जिनका जनसंपर्क सेवाओं और कार्यों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। एक उदहारण हाल ही में विभाग के निदेशक ने ऐसा आदेश जारी किया है, जिसमें विभाग के अतिरिक्त निदेशकों को अपने आंवटित वाहनों को दो—दो दिन अन्य कार्यों में नियोजित करने के लिए निर्देशित किया गया है।

 

एक अन्य मौके पर निदेशक महोदय एक जिला जनसम्पर्क अधिकारी से इस बात पर बेहद नाराज हुए कि उन्होंने मुख्य सचिव महोदया की समीक्षा बैठक में यह सच जाहिर कर दिया कि विभाग के स्तर पर प्रचार-सामग्री जिलों तक नहीं पहुचाई गई है। यहाँ तक कि विभिन्न मौकों पर विभाग की बैठकों में उनकी अध्यक्षता करते हुए निदेशक महोदय जनसम्पर्क अधिकारियों पर अनाप-शनाप आरोप लगाने वाली टिप्पणियां करते हैं। इस सबसे विभाग के अधिकारी हतोत्साहित हैं।

जनसम्पर्क एवं सम्बद्ध सेवाओं के प्रतिनिधि संगठन प्रसार का कहना है कि माननीय मुख्यमंत्री महोदय  अशोक गहलोत हमेशा से जनसम्पर्क सेवाओं को सर्वोपरि एवं गरिमापूर्ण स्थान देते रहे हैं। पिछले  वर्ष माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने विभाग के कैडर रिव्यू के भी निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री महोदय ने कई बार पुलिस विभाग में जिला स्तर तथा कई नए विभागों और अन्य संस्थाओं के गठन के बाद वहां भी जनसम्पर्क गतिविधियों के लिए पद सृजित के निर्देश दिए थे। लेकिन विभाग के निदेशक की नकारात्मक सोच के चलते यह कैडर रिव्यू सिर्फ 6 पदों के क्रमोन्नयन की कागजी कार्यवाही तक सीमित रहा। इस सन्दर्भ में विभाग के उच्च अधिकारियों की समिति की कैडर रिव्यू की अनुशंसा को भी दरकिनार कर दिया है। इस तरह अनेक अवसरों पर सूचना एवं जनसम्पर्क निदेशक की नकारात्मक सोच के चलते जनसम्पर्क सेवाओं की प्रतिष्ठा धूमिल हुई है और अधिकारियों एवं कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात हुआ है।

प्रसार का कहना है कि माननीय मुख्यमंत्री महोदय की ओर से बजट घोषणाओं और अन्य अवसरों पर दिए गए निर्देशों के बावजूद जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों के लिए आवश्यक संसाधन और कार्य निष्पादन के लिए सुविधाएं कम्प्यूटर, कागज, प्रिंटर आदि भी उपलब्ध नहीं करवाई जा रही हैं। दूसरी ओर, समय के साथ राज्य सरकार के विभागों और संस्थानों के विस्तार और समाचार अथवा मीडिया संस्थानों तथा जनसम्पर्क विधा में आए परिवर्तनों के कारण जनसम्पर्क विभाग के कार्य-दायित्वों की प्रकृति का भी विस्तार हुआ है। इसके अनुरूप लम्बे समय से विभागीय सेवाओं के कैडर का सुदृढ़ीकरण कर नए पद सृजित नहीं किए गए हैं। इसके लिए प्रसार ने मुख्यमंत्री महोदय के नाम ज्ञापन भी दिए हैं। यहां तक कि प्रचार-प्रसार के आवश्यक कार्य निष्पादन के लिए सुविधाएँ भी विभाग के अधिकारियों को उपलब्ध नहीं करवाई जा रही हैं।

अत: प्रसार ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि प्रचार—प्रसार के कार्यों में और तेजी लाने तथा जनसम्पर्क सेवा की प्रतिष्ठा को बचाने और राज्य सरकार की योजनाओं और गतिविधियों के प्रचार-प्रसार में तेजी लाने के लिए सूचना एवं जनसम्पर्क निदेशक पद पर तुंरत प्रभाव से किसी सक्षम अधिकारी को लगाया जाए। उल्लेखनीय है कि इससे पहले वर्ष 2018 में सूचना एवं जनसंपर्क सेवा के अधिकारियों ने ऐसी ही नकारात्मक स्थितियां उत्पन्न होने पर एकजुट होकर कैंडल मार्च में हिस्सा लिया था, जिसके बाद विभाग के निदेशक पद पर काबिज एक आरएएस अधिकारी को बदला गया था। मांग नहीं माने जाने पर प्रसार एक बार फिर सत्याग्रह करने के लिए मजबूर हो रहा है।

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