महापुरुषों के मार्ग पर चलकर राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए दृढ़ संकल्पित रहे : बेढ़म

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डीग। गृह गौपालन, पशुपालन, डेयरी तथा मत्स्य विभाग राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म ने कहा कि सभी लोग महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेते हुए उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलकर राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए दृढ़ संकल्पित रहे। उन्होंने कहा कि आज जब हम लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर जी की त्रिशताब्दी जयंती मना रहे हैं, यह केवल एक ऐतिहासिक स्मरण नहीं, बल्कि भविष्य के निर्माण की प्रेरणा है। एक साधारण परिवार में जन्मी अहिल्याबाई ने अपने कर्म, साहस और दृष्टिकोण से इतिहास में वह स्थान प्राप्त किया जो आज भी प्रेरणा का स्रोत है।

बेढ़म शनिवार को मेला ग्राउंड डीग के निकट स्थित आयोजन स्थल पर जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर जी की 300वीं जयंती समारोह पर देश प्रदेश के लोगों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि लोकमाता होल्कर जी अपने जीवन के हर क्षण को मनसा, वाचा, कर्मणा लोकहित के लिए समर्पित किया। एक अबोध बालिका से लेकर होल्कर वंश की रानी और फिर लोकमाता बनने तक का उनका 70 वर्षीय जीवन सामाजिक न्याय, कर्तव्य, सात्त्विकता और पराक्रम की मिसाल रहा।

उन्होंने कहा कि उनकी शासन शैली में राजनीतिक दूरदृष्टि, आध्यात्मिक आस्था और जनसेवा का समर्पण था। उन्होंने युद्ध को कभी भी केवल राजकोष भरने का साधन नहीं माना। अंग्रेजों की कूटनीति को भांपते हुए उन्होंने भारतीय रियासतों को सतर्क रहने की सलाह दी और अखंड भारत की परिकल्पना को प्रोत्साहित किया साथ ही महिलाओं की भागीदारी को भी नई दिशा दी। उन्होंने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई ने यह सिद्ध किया कि बिना टकराव, बिना कठोरता के भी समाज की सोच और व्यवस्थाएं बदली जा सकती हैं। वे धर्मपरायण थीं, लेकिन उसी के साथ राजनैतिक रूप से सजग, पराक्रमी भी थीं। उनका जीवन उन सभी मूल्यों का संतुलन था, जिन्हें आज की पीढ़ी को समझने और आत्मसात करने की आवश्यकता है।

गृह राज्य मंत्री ने कहा कि लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर सामाजिक दृष्टि से अत्यंत व्यापक थी। उन्होंने महेश्वरी साड़ी उद्योग की शुरुआत की, जिससे महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला। देशभर में मंदिरों का जीर्णोद्धार, धर्मशालाओं का निर्माण, घाटों का विकास, और पर्यावरण संरक्षण उनके सतत प्रयासों के उदाहरण हैं। स्त्री-सशक्तिकरण की दृष्टि से भी वे अग्रणी थीं। उन्होंने विधवाओं को संपत्ति का अधिकार दिलाया, दहेज प्रथा के विरुद्ध आदेश जारी किए, और महिलाओं की अदालतों में सुनवाई सुनिश्चित की।

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