फसल अवशेष जलाने पर लगेगा जुर्माना, फसल अवशेषों को विभिन्‍न प्रकार से काम में लेने की सलाह

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बूंदी। जिले के कृषकों के खेतो में धान फसलों के अवशेष नहीं जलाने की अपील की है। साथ ही फसल अवशेष का उपयोग विभिन्न प्रकार से काम में लेने की सलाह दी गई है।
संयुक्त निदेशक कृषि (वि0) महेश शर्मा ने बतया कि धान फसल की कटाई कम्बाईन हारवेर्टस्टर से की जा रही है। जिससे जिसके कारण खेतों में फसल अवशेष शेष रह जाते है। फसल अवशेष को उन्नत कृषि यंत्रो जैसे कल्टीवेटर , रीपर, हैप्पी सीडर, स्ट्रा रीपर इत्यादि के उपयोग से फसल अवशेष को काटकर या टुकडे-टुकडे कर भूसा या चारा बनया जाकर पशुओ के लिए उपयोग में लिया जा सकता है। साथ ही फसल अवशेषों को मिट्टी में मिश्रित कर मिट्टी में मिलाने पर खाद का काम करेगी।
उन्‍होंने बताया कि कार्बनिक पदार्थ अधिक होने पर लाभदायक जीवांष पदार्थ की मात्रा बढती है, जो मृदा की उर्वरकता शक्ति हो बढाती है, परन्तु फसल अवशेषों को जलाने से यह अमूल्य पदार्थ नष्ट हो रहे है । फसल अवशेषों को जलाने से मृदा का तापमान बढ जाता है जिसके कारण मृदा में उपस्थित सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते है जो कि मृदा जैव विविधता के लिए गंभीर चुनौती है। फसल अवशेष जलाने पर भारी मात्रा में हानिकारक गैसे जैसे मिथेन, कार्बनडाई ऑक्साईड, सल्फरडाई ऑक्साईड आदि गैसे निकलती है। जो वातारण को प्रभावित करती है। जिससे कैंसर, अस्थमा एवं अन्य हानिकारक रोग होते है। फसल अवशेषों को जलाने से भूमि के मित्र कीट नष्ट हो जाते है, जिसके कारण कीटो व फफुन्द को नियन्त्रित करते हेतु जहरीले कीटनोशकों को उपयोग करना पडता है, जिससे मृदा भी प्रदुषित हो जाती है और कृषकों पर उत्पादन लागत भी बढ जाती है।
उन्‍होंने बताया गया कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के नियमानुसार यदि किसानों के द्वारा फसल अवशेष जलाये जाते है तो 2 एकड से कम भूमि वाले किसानों पर 2500 रूपये , 2 से 5 एकड वाले कृषकों पर 5000 रूपये और 5 एकड से अधिक क्षेत्र वाले कृषकों पर 15000 रूपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। प्रदूषण नियंत्रण रोकथाम अधिनिमय 1981 की धारा 19 (5) के तहत फसल अवशेष जलाने पर कानूनी कार्यवाही का भी प्रावधान है। यदि किसी भी कृषक के द्वारा फसल अवशेष जलाये जाते है तो उन पर नियमानुसार कार्यवाही हो सकती है।
उन्‍होंने सहायक निदेशक कृषि (वि0) व जिला विस्तार अधिकारी, सीएडी, बून्दी को निर्देशित करते हुये बताया कि अपने फील्ड स्टाफ के माध्यम से कृषक गोष्ठियों, चौपाल, प्रशिक्षण कार्यक्रमों के द्वारा कृषकों को फसल अवशेष नहीं जलाने के संबंध में जागरूक करने हेतु करने हेतु पाबंद किया जाये।

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