खतरनाक है एंटीबायोटिक दवाओं का बेज़ा इस्तेमाल

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अध्ययन के अनुसार एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल
खतरनाक रूप से बढ़ रहा है। यह अध्ययन 15 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के 20
अस्पतालों में किया गया है। छह महीने में 9652 पात्र रोगियों पर सर्वेक्षण किया गया। अध्ययन
में पता लगा कि इन अस्पतालों में 71.9 प्रतिशत रोगियों को डाक्टरों ने एंटीबायोटिक दवा
लिखी। 20 में से चार संस्थानों ने 95 प्रतिशत से अधिक मरीजों को एंटीबायोटिक दवा लिखी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिसर्च के मुताबिक एंटीबायोटिक के ज्यादा इस्तेमाल से 'एंटी माइक्रो-
बियल रेजिस्टेंस' का रिस्क बढ़ रहा है। जो वाकई में किसी महामारी से भी बड़ा खतरा है। एंटी
माइक्रो-बियल रेजिस्टेंस' से दुनिया में हर साल 50 लाख लोगों की मौत हो जाती है। यही हाल
रहा तो साल 2050 तक मौत का आंकड़ा 1 करोड़ के पार चला जाएगा।
आजकल एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल ज्यादा बढ़ रहा है। रोजाना की दौड़ती-भागती जिंदगी में लोग
सरदर्द, पेटदर्द, सर्दी, खांसी या बुखार होने पर एंटीबायोटिक दवा ले लेते हैं। बहुत से लोग बिना किसी डॉक्टर
की सलाह के भी इनका इस्तेमाल करने लगे हैं। यह सेहत के लिए नुकसानदायक है। एंटीबायोटिक दवाओं
का अंधाधुंध उपयोग किस प्रकार हमारे स्वास्थ्य को हानि पहुंचता है इसकी एक भयावह जानकारी हमारे
सामने आयी है। एक रिसर्च में बताया गया है कि सबसे ज्यादा एजिथ्रोमाइसिन दवा का उपयोग किया
गया। ये 500 एमजी की एक टैबलेट होती है. जो एंटीबायोटिक का काम करती है। देश में करीब 8 प्रतिशत
लोगों ने इस दवा का सेवन किया था। एक रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में एंटीबायोटिक का सेवन हर
दशक में 30 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
असल में एंटीबायोटिक दवाइयां हमारे देश में लगभग हर मेडिकल स्टोर पर बिकने वाली आम दवाओं में से
एक हैं। हालाँकि यह दवा डॉक्टरी पर्चे पर दी जानी चाहिए मगर देखा गया है दुकानदार इसे बिना समुचित
पर्ची के लोगों को दे देते है। हमारे देश में लोग मामूली बीमारियों के इलाज के लिए डॉक्टर के पास नहीं जाते।
वे केमिस्ट से दवाई ले लेते हैं। कुछ लोग कई दवाओं के बारे में जानते हैं कि ये किस बीमारी को ठीक करती
है और उसी हिसाब से दवाई ले लेते हैं। लेकिन उन्हें इन दवाइयों के साइड इफेक्ट के बारे में पता नहीं होता।

बिना डॉक्टर की सलाह के ये दवाइयां जरूरत से ज्यादा लेने के बाद ये शरीर में रेसिस्टेंस यानी प्रतिरोध पैदा
कर लेती हैं। इसके बाद इनका कोई असर नहीं होता।
एक रिपोर्ट के अनुसार एंटीबायोटिक का सेवन करने के बाद शरीर को काफी नुकसान होता है। लगातार
इस्तेमाल से टीबी जैसी बीमारियां हो सकती हैं। इसी के मद्देनजर अब दुनिया भर में एंटीबायोटिक दवाओं
के इस्तेमाल और सेवन के खिलाफ मुहिम छेड़ी गई है। डॉक्टर बताते हैं कि अधिक मात्रा या बिना वजह
एंटीबायोटिक दवाओं को लेने से ये दवाएं शरीर के फायदेमंद बैक्टीरिया को भी खत्म कर देती हैं। इससे
स्किन पर कई प्रकार के फंगल इंफेक्शन हो जाता है। कई मामलों में चेहरे पर एलर्जी और दाने निकलने की
सम्स्या भी देखी जाती है। डब्लूएचओ के मुताबिक बिना जरूरत के एंटीबायोटिक दवा लेने से
एंटीबायोटिक प्रतिरोध में वृद्धि होती है जो वैश्विक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक
है। एंटीबायोटिक प्रतिरोध संक्रमण से मरीज को लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने, इलाज
के लिए अधिक राशि और बीमारी गंभीर होने पर मरीज की मौत भी हो सकती है। एंटीबायोटिक
प्रतिरोध किसी भी उम्र के किसी भी देश में किसी को भी प्रभावित कर सकता है। एंटीबायोटिक
प्रतिरोध स्वाभाविक रूप से होता है, लेकिन मनुष्यों और जानवरों में एंटीबायोटिक दवाओं का
दुरुपयोग इस प्रक्रिया को तेज कर रहा है। निमोनिया, तपेदिक, सूजाक, और साल्मोनेलोसिस
जैसे संक्रमणों की बढ़ती संख्या का इलाज करना कठिन होता जा रहा है क्योंकि उनके इलाज के
लिए इस्तेमाल की जाने वाली एंटीबायोटिक्स कम प्रभावी हो जाती हैं। एंटीबायोटिक प्रतिरोध के
कारण लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ता है, उच्च चिकित्सा लागत और मृत्यु दर में
वृद्धि होती है।

– बाल मुकुन्द ओझा

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