चुनावी सर्वे : कायम रहेगा राजस्थान में सरकार बदलने का रिवाज़

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चुनाव आते ही सर्वेक्षणों की बहार आ जाती है। खबरिया चैनल सर्वे एजेंसियों के माध्यम से इस
प्रकार के सर्वे कराकर जनता की राय लोगों के समक्ष रखने का प्रयास करती है और संभावित
जीत- हार के अनुमान पेश करती हैं। कई बार इन सर्वेक्षणों के नतीजे चुनावी नतीजों के करीब बैठते हैं तो
कई बार औंधे मुंह गिर जाते हैं। मतदाताओं का मूड भांपने का दावा करने वाले ऐसे सर्वेक्षणों में कई बार
लोगों और राजनीतिक दलों की दिलचस्पी दिखाई देती है। चुनाव आयोग ने सात नवम्बर से इस प्रकार
के किसी भी सर्वे पर रोक लगा दी है।
हम बात कर रहे है राजस्थान में 25 नवम्बर को होने जारहे विधान सभा चुनाव की। अभी
सत्तारूढ़ कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने अपने पूरे पते नहीं खोले है। जितनी सीटों पर
उम्मीदवार घोषित किये है उनमें बहुत सी सीटों पर दोनों पार्टियों को बगावत का सामना करना
पड़ रहा है। दल बदल का सिलसिला भी शुरू है। राजस्थान में पिछले कई चुनावों से हर पांच
साल में सत्ता बदलने का रिवाज़ है। इस रिवाज़ को बदलने के लिए जहाँ सत्तारूढ़ कांग्रेस अपनी
लोक कल्याणकारी योजनाओं का पासा फेंक कर जीत के लिए जी तोड़ प्रयासरत है तो भाजपा
नाकामियां गिनाकर चुनाव जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। ताज़ा ओपनियन पोल
टाइम्स नाउ नवभारत और ईटीजी ने कराया है जिसमें भाजपा के जीत की भविष्यवाणी की गई
है। टाइम्स नाउ नवभारत और ईटीजी के ताजा सर्वे के मुताबिक राज्य में बीजेपी की सरकार
बनेगी। सत्तारूढ़ कांग्रेस बहुमत से काफी दूर रहेगी। सर्वे के अनुसार बीजेपी को 114 से 124
सीटें मिल सकती है।
इससे पूर्व राजस्थान के दो सर्वे चर्चा में रहे थे जो कुछ माह पूर्व कराये गए थे । दोनों अलग
अलग एजेंसियों द्वारा कराये गए। दोनों ही सर्वे में भाजपा को आगे दिखाया गया। इसका
मतलब यह निकाला जा रहा है की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा बांटी जा रही रेवड़ियों को
मतदाताओं ने सिरे से नकार दिया है। पहला सर्वे एबीपी सी वोटर्स का था जो विधान सभा
चुनावों का था। दूसरा ओपिनियन पोल इंडिया टीवी सीएनएक्स द्वारा कराया गया था। यह सर्वे
लोकसभा चुनावों का था। पहले सर्वे में प्रदेश में भाजपा की जीत की भविष्यवाणी की गई। सर्वे
में भाजपा को 109 -119 और कांग्रेस को 78 -88 सीटें आने का अनुमान व्यक्त किया गया।
सट्टा बाजार का आकलन भी भाजपा की जीत की संभावनाएं व्यक्त कर रहा है। दूसरा सर्वे
लोकसभा चुनाव का था जिसमें प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में से भाजपा को 21 और कांग्रेस

को 4 सीटें दी गई। इस सर्वे में देशभर में भाजपा की जीत क़ा अनुमान भी व्यक्त किया गया
,जिसमें एनडीए को 318, कांग्रेस नीत इंडिया गठबंधन को 175 और अन्य को 50 सीटें आने
का अनुमान व्यक्त किया गया।
राजस्थान में पिछले 30 सालों से हर चुनाव में सत्ता बदलने की परंपरा चली आ रही है। विधानसभा चुनावों
के नतीजों पर नज़र डालें तो यह साफ तौर पर सामने आता है कि हर टर्म के बाद सरकार का बदलना जारी
है। राज्य में 200 विधानसभा सीटें हैं। वर्ष 2003 में 120 सीटें भाजपा ने जीतीं तो कांग्रेस के पास 56 सीटें
आईं और बाकी पर अन्यों ने जीत दर्ज की। वर्ष 2008 में कांग्रेस का प्रदर्शन सुधरा और करीब 96 सीटों पर
विजय प्राप्त की तो वहीं भाजपा की झोली में करीब 78 सीटें आईं। वर्ष 2013 में भाजपा ने 162 सीटों के साथ
भारी भरकम जीत दर्ज की। वहीं काँग्रेस के पास 21 सीटें ही रह गईं। इन परिणामों में कभी भाजपा सरकार
बनाती है तो कभी काँग्रेस। हर पांच साल में कार्यकाल पूरा होने के बाद होने वाले चुनावों में कांग्रेस या
भाजपा, दोनों में से एक पार्टी सत्ता पर काबिज़ हो जाती है। इस बार बारी भाजपा की है।

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