बारिश का मौसम अपने साथ कई प्रकार की बीमारियां लेकर आता है। इस मौसम में सबसे ज्यादा मच्छर और कीड़े पनपते हैं। बारिश में डेंगू जैसी खतरनाक बीमारी हो जाती है। यही कारण है कि प्रतिवर्ष 10 अगस्त को डेंगू निरोधक दिवस मनाया जाता है। यह दिवस लोगों में डेंगू के प्रति जागरुकता फैलाने तथा इसके प्रति सचेत रहने के लिए मनाया जाता है। इसी कारण प्रतिवर्ष मानसून के बाद देशभर में डेंगू के कई हजार मामले सामने आते हैं। डेंगू प्रायः दो से पांच दिनों के भीतर गंभीर रूप धारण कर लेता है। गर्मियों की शुरुआत के साथ रही घरों में और आसपास मच्छरों की संख्या बढ़ने लगती है। ये मच्छर कई रोग की वजह बन सकते हैं। मच्छरों से डेंगू-मलेरिया फैलता है। खासकर बारिश में डेंगू का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि डेंगू के मच्छर पानी में पनपते हैं। डेंगू एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज शुरू से नहीं हुआ तो यह जानलेवा हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हाल के दशकों में दुनिया भर में डेंगू के मामलों में अप्रत्यासित रूप से वृद्धि हुई है। दुनिया की लगभग आधी आबादी अब डेंगू के खतरे में हैऔर हर साल अनुमानित 100-400 मिलियन संक्रमण होते हैं। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है देश में पिछले वर्ष लगभग एक लाख डेंगू के केस दर्ज़ किये गए। जो मच्छरों को नए वातावरण में बेहतर ढंग से अनुकूलित करने और संक्रमण के जोखिम को भौगोलिक रूप से आगे फैलाने की अनुमति देते हैं। हाल के वर्षों में डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं। डेंगू के मामलों में वृद्धि तेजी से शहरीकरण, जनसंख्या वृद्धि, वैश्वीकरण, जलवायु परिवर्तन, सामाजिक- आर्थिक विकास और जीवन शैली में बदलाव के कारण एडीज वेक्टर की शुरुआत के कारण देखी गई है। मौसम परिवर्तन और बीमारियों का चोली दामन का साथ है। तापमान में भी घटत बढ़त होता है। इस वर्ष मौसम के अजब गजब नज़ारे देखने को मिल रहे है। कभी गर्मी कभी आंधी और बारिश तो कभी ठण्ड ने मौसम का मिज़ाज़ बिगाड़ रखा है। इस वर्ष मार्च और अप्रैल में भीषण गर्मी देखने को मिली। मई माह के पहले पखवाड़े में तापमान 45 डिग्री को पार कर गया। इसी के साथ डेंगू जैसी बीमारियां फैलते देर नहीं लगी। यह सर्व विदित है डेंगू मच्छर के कारण फैलता है और मच्छर गंदगी और ठहरे हुए पानी में पनपते हैं, तो आवश्यक है कि अपने आसपास स्वच्छता का पर्याप्त ध्यान रखा जाए। जलवायु परिवर्तन के फलस्वरूप मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसी को तीन से चार दिन तक उल्टी, तेज बुखार और चक्कर आ रहे हैं तो इसे नजरंदाज न करें। तुरंत ब्लड सैंपल की जांच कराएं। जांच में डेंगू की पुष्टि हुई है तो इलाज कराएं। इस मामले में बिलकुल भी लापरवाही न बरतें। डेंगू फीवर जिसे ‘हड्डी तोड़ बुखार भी कहां जाता हैं, भारत में तेजी से अपने पैर पसार रहा है। हर साल इस खतरनाक बीमारी के अनियंत्रित हो जाने का मुख्य कारण यह हैं कि इसकी वैक्सीन अभी तक उपलब्ध नहीं हैं। डेंगू की भयावहता का अंदाजा इसी पहलू से लगाया जा सकता है कि समय से उपचार न मिलने के कारण रोगी की मौत भी हो जाती है। विशेषकर जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है वे मौसमी बीमारियों का शिकार हो जाते है। देशभर से मिलने वाली खबरों के मुताबिक मौसम परिवर्तन के साथ ही मौसमी बीमारियां और वायरल बुखार का प्रकोप पैर पसारने लगा है, जिसके चलते चिकित्सालय में मरीजों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। मौसम परिवर्तन के साथ ही सर्दी, खांसी- जुकाम, चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू, स्क्रब डेंगू, वायरल बुखार, उल्टी- दस्त के रोगियों की संख्या बढ़ी है। मच्छरों का प्रकोप भी बीमारियां बढ़ाने में सहायक हो रहा है। डॉक्टरों के अनुसार तापमान में उतार-चढ़ाव के चलते मौसमी बीमारियां बढ़ी हैं। इस मौसम में जोड़ों में दर्द, बदन दर्द, सिरदर्द, खांसी, जुकाम एवं बुखार होता है। बदलते मौसम में खान पान में सतर्कता रखनी जरूरी है।
– बाल मुकुन्द ओझा



