बारिश से जमा हुए पानी में मच्छरों के प्रजनन हेतु अनुकूल वातावरण न बन जाए, इसके लिए फिल्ड़ में जारी रहे एन्टीलार्वल गतिविधियां : सीएमएचओ

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भीलवाडा। बारिश से जिलेवासियों को गर्मी से थोड़ी राहत जरूर मिली है, परंतु बारिश से मच्छरों के प्रजनन हेतु अनुकूल वातावरण न बन जाए, इसकों लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग एंटीलार्वल गतिविधियों पर जोर दे रहा है। मौसमी बीमारियों के बचाव व नियंत्रण के लिए जिला एवं खण्ड स्तर पर चिकित्साकर्मियों द्वारा नियमित रूप से फिल्ड में एंटीलार्वल गतिविधियां संपादित कर मच्छरों के लार्वा को नष्ट किया जा रहा है।

विभाग ने गतिविधियां तेज करते हुए सभी चिकित्सा अधिकारियों व कार्मिकों को गंभीरता बरतने के निर्देश दिए हैं। विभागीय टीमें नियमित सर्वे, ऐंटीलार्वल गतिविधियों के साथ ही आमजन को जागरूक भी कर रही है। इसके साथ ही जिले में नियमित रूप से फोगिंग भी करवाई जा रही है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. चेतेन्द्र पुरी गोस्वामी ने बताया कि जिले में बारिश के चलते जगह-जगह पर पानी एकत्र होना शुरु हो गया है, जिससे मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण बन जाता है। ऐसे में चिकित्साकर्मियों द्वारा जिला एवं ब्लॉक स्तर पर एंटी लार्वल गतिविधियां शुरु कर दी गई है। चिकित्साकर्मियों ने मौके पर उपस्थित आम जन से अपने-अपने घरों व आसपास एकत्र पानी को नष्ट करने की अपील की जा रही है। आशा व एएनएम द्वारा भी घर-घर में सर्वे कर मच्छरों की रोकथाम के लिए आमजन को प्रेरित किया जा रहा है।

सीएमएचओ डॉ0 गोस्वामी ने बताया कि तेज गर्मी में मच्छरों का प्रजनन कम हो जाता है, लेकिन बारिश से जगह-जगह जल भराव द्वारा मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल स्थान बन जाता है। ऐसे में जरूरी है कि आमजन भी ध्यान रखें कि कहीं खुला और रूका हुआ पानी न रह जाए, क्योंकि मच्छर ऐसे रूके हुए पानी में ही अंडे देते हैं।

हमारा प्रयास रहना चाहिए कि ऐसे पानी को सूखा देना चाहिए। मच्छरों की रोकथाम का सबसे प्रभारी तरीका होता है एंटी लार्वल एक्टीविटी, जिसके तहत मच्छरों को पनपने से ही रोक दिया जाता है। इसी क्रम में गंदे पानी के इकट्ठे होने पर एमएलओ, काला तेल, पाइरेथ्रम छिड़काव, साफ पानी के तालाबों पर बीटीआई, पेयजल में टेमीफोस, खाद्य तेल, घरों में पाइरेथ्रम स्प्रे तथा जल स्त्रोतों में मच्छर का लार्वा खाने वाली गम्बूशिया मछली डलवाने से मच्छरों के प्रजनन पर रोक लगाई जा सकती है।

उन्होंने आमजन से अपील की कि घरों में पक्षियों के लिए रखे जाने वाले परिण्डों को सप्ताह में एक बार खाली कर उन्हें अच्छी तरह रगड़ कर साफ करें, कूलर को सप्ताह में एक बार साफ करें, फ्रीज के पीछे लगी ट्रे, गमले, फूलदान इत्यादि को नियमित रूप से साफ कर पानी बदलें, छत पर पड़े टूटे-फूटे सामान, कबाड़, टायर में भरे पानी को भी साफ करें। पानी की टंकी एवं अन्य बर्तनों को ढंक कर रखा जाए, जिससे मच्छर उसमें प्रवेश कर प्रजनन ना कर पाए।

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