जोधपुर : भीतर के दोषों से मुक्त होना ही जीवन का सार है-सुमति मुनि

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– धर्म संस्कार पाठशाला में बच्चों ने उत्साहित होकर भाग लिया
जोधपुर। जयमल पाठशाला के सभी केन्द्रों के बच्चों ने आज चौरड़िया भवन में आयोजित धर्म संस्कार पाठशाला में उत्साहित होकर भाग लिया।सुमति मुनि ने बच्चों को बोध देते हुए धर्म संस्कार प्रदान किया। चौरड़िया भवन में विराजित सुमति मुनि ने अपने प्रवचन में कहा कि भीतर के दोषों से मुक्त होना ही जीवन का सार है। हमको छोटी सी गलती भी बड़ी गलती लगनी चाहिये। संयम में मर्यादा में रहना होता है। हमसे बड़े यदि हमें कुछ भी कहे, चाहे हमारी गलती हो या नही हो, तो भी उनकी बात सुनकर आज्ञा को मानना चाहिए।बड़ों के प्रति सद्भाव रखे। गुरु भगवंत हमारे घर पधारते हैं तो वह हमें बहुत सा देने के लिए आते हैं। हमारे घर से इसलिए लेते हैं कि हमको मालूम ही नहीं पड़े कि गुरु हमें दे रहे हैं। जगत के सब जीवों को निर्दोष मानकर उनके प्रति सद्भावना रखें। इससे पूर्व साध्वी नगीना श्रीजी ने कहा वात्सल्य को टिकाना हो तो ईष्या व द्वेषभाव को त्यागना होगा। कान भरने वालों की संगत से दूर रहो। प्रदर्शन करने से दूसरों में ईस्या भाव प्रकट होकर अनर्थ हो जाता है। इर्ष्या वंश महासंग्राम होता है। ईर्ष्या व प्रशंसा पचती नहीं है। अध्यक्ष देवराज बोहरा ने बताया कि प्रवचन सुनने श्रावकों की भीड़ हर दिन बढ़ती ही जा रही है। दूसरी तरफ तपस्याओं का दौर भी जारी है।आज अजय खिंवसरा ने 24, वंश समदड़िया ने 7 एवं सुमित्रा ने 12 की तपस्या ग्रहण की।

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