कर्नाटक के इस फेमस मंदिर में है चमत्कारी पत्थर, 12वीं सदी में हुआ था इसका निर्माण

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नई दिल्ली। अमरागिरि श्री गुड्डदा रंगनाथस्वामी मंदिर कर्नाटक के हसन जिले के चन्नरायपेटा तालुक के चिक्कोनहल्ली में है। यह मंदिर 12वीं सदी में बना था और जिसके कारण इसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व काफी ज्यादा है। श्री रामानुजाचार्य जो तमिलनाडु से निर्वासित होकर मेलुकोटे आए थे। अपनी यात्रा के दौरान रामानुजाचार्य चिक्कोनहल्ली में रुके थे। इस रात उनको एक खास आध्यात्मिक अनुभव हुआ। अगले दिन रामानुजाचार्य ने गांव वालों को बताया कि यह जगह भगवान विष्णु के लिए पवित्र है। रामानुजाचार्य ने कहा कि यहां पर श्रीहरि विष्णु की मूर्ति स्थापित की जाए और फिर रोज उनकी पूजा की जाए। ऐसे में रामानुजाचार्य के निर्देश पर गांव वालों ने भगवान राम की धनुष बाण लिए हुए मूर्ति स्थापित की। इसकी नियमित पूजा करनी शुरूकर दी। इस मंदिर की कहानी बेहद दिलचस्प है, उसी तरह यहां पर एक चमत्कारी पत्थर है, जोकि बेहद खास है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इस मंदिर और पत्थर के बारे में बताने जा रहे हैं।

ऐसे पहुंचे मंदिर

कर्नाटक के हसन जिले के चन्नरायपटना तालुक के चिक्कोनहल्ली गांव में अमरागिरि श्री गुड्डदा रंगनाथस्वामी मंदिर स्थित है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको हसन या चन्नरायपटना पहुंचना होगा। जोकि रेल मार्ग और सड़क मार्ग से कनेक्टेड है। वहीं अगर आप बेंगलुरू से आ रहे हैं, तो आपको करीब 160 किमी की दूरी तय करनी होगी। जिसको आप बस, ट्रेन या फिर कार से 3-4 घंटे में तय कर सकते हैं। चन्नरायपटना या हसन से आप टैक्सी या लोकल गाड़ी की मदद से चिक्कोनहल्ली पहुंच सकते हैं।

मंदिर की कहानी

विदेशी आक्रमणकारियों से मंदिर की सुरक्षा के लिए गांव वाले इसको रंगनाथस्वामी मंदिर कहने लगे। क्योंकि यहां पर आक्रमणकारी रंगनाथ के नाम और पूजा का सम्मान करते थे। वहीं रामानुजाचार्य द्वारा बताए मुताबिक यह मंदिर रंगनाथस्वामी मंदिर के नाम से फेमस हो गया। वहीं शनिवार के दिन मंदिर में दसोहा का आयोजन होता है। राम नवमी पर रथ उत्सव मनाया जाता है। मंदिर के पुजारी के मुताबिक मंदिर की सुरक्षा ‘दोनप्पा’ नामक एक देवता करते हैं।

पत्थर की खासियत

इस मंदिर की एक खास बात यह है कि यहां पर रामानुजाचार्य का एक छोटा पत्थर है, जिसको वह तकिए की तरह उपयोग में लाते थे। अब मान्यता है कि यदि कोई अपनी मनोकामना लेकर उस पत्थर पर बैठता है, तो यदि मनोकामना पूरी होगी तो पत्थर दाईं ओर झुकेगा और यदि मनोकामना पूरी नहीं होगी तो यह पत्थर बाईं ओर झुकता चलेगा। इस पत्थर को देखकर मंदिर आने वाले भक्त खुद भी हैरान रह जाते हैं। क्योंकि इसके घूमने की स्पीड काफी तेज होती है कि व्यक्ति खुद घूमने लगता है।

मंदिर में क्या करें

बता दें कि हर शनिवार को मंदिर में सामूहिक भोजन कराया जाता है, जिसमें सभी भक्त शामिल हो सकते हैं। वहीं राम नवमी के शुभ मौके पर मंदिर में भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। ऐसे में आप भी इसमें शामिल होकर धार्मिक और सांस्कृतिक आनंद उठा सकते हैं। मंदिर का वातावरण बहुत शांत और आध्यात्मिक रहता है। वहीं यहां की हरियाली और पहाड़ों का नजारा आपके मन को सुकून दे सकता है। मंदिर के पुजारी और यहां के स्थानीय लोग मंदिर के इतिहास और रामानुजाचार्य से जुड़े प्रसंग बताते हैं। ऐसे में आप इस मंदिर से जुड़ी चीजें पूछ सकते हैं।

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