लोकसभा चुनाव को लेकर अब तक आए रुझानों के मुताबिक एनडीए एक बार फिर से सरकार बनाने जा रही है। हालांकि 2019 और 2014 की तरह इस बार भाजपा अपने दम पर पूर्ण बहुमत की सरकार से चुकती हुई दिखाई दे रही है। ऐसे में कहीं ना कहीं अब भाजपा अपने सहयोगी दलों को साधने की कोशिश कर रही है। भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ फिलहाल 295 के आंकड़ों के आसपास है। जिसमें नीतीश कुमार की जदयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी की भूमिका काफी अहम है। दोनों दल लगभग 15-15 सीटों पर आगे चल रही है।
नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के इतिहास को देखते हुए उन पर इंडिया गठबंधन की ओर से भी डोरे डाले जा रहे हैं। यही कारण है कि अमित शाह ने अब एनडीए के गठबंधन सहयोगियों से बात करने की शुरुआत करती है। उन्होंने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से बात की है जो गया से चुनाव लड़ रहे थे। इसे भाजपा के आगे की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि अमित शाह ने एक बार फिर से एनडीए पार्टनर्स को साथ रखने के लिए मोर्चा संभाल लिया है। बुधवार को एनडीए की बैठक भी बुलाई गई है। भाजपा के उत्तर प्रदेश प्रभुत्व को इंडिया गुट से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। दोपहर तक, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का भारतीय गठबंधन 80 लोकसभा सीटों में से 44 पर आगे चल रहा था – जो कि एनडीए की 35 सीटों से अधिक है।
उत्तर प्रदेश में 2014 और 2019 के चुनावों में, भाजपा ने 71 और 62 सीटें हासिल कीं। एग्जिट पोल ने इस बार भी यही ट्रेंड दोहराने की भविष्यवाणी की थी, लेकिन अब तक के रुझान चेतावनी पर खरे उतरते हैं – एग्जिट पोल हमेशा इसे सही साबित नहीं करते हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मंगलवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से “नैतिक जिम्मेदारी” लेने और “इस्तीफा” देने का आग्रह किया क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 में 370 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा करने वाली पार्टी बहुमत के आंकड़े 272 सीटों से भी पीछे है। जयराम रमेश ने एक्स पोस्ट में लिखा कि वह दिखावा करता था कि वह असाधारण है। अब ये साबित हो गया है कि निवर्तमान प्रधानमंत्री पूर्व बनने जा रहे हैं। नैतिक जिम्मेदारी लें और इस्तीफा दें। यही इस चुनाव का संदेश है।

सहयोगियों को साथ रखने की कोशिश में जुटी BJP, अमित शाह ने संभाला मोर्चा
ram