अंग्रेजी माध्यम स्कूलों को हिंदी में करना शिक्षा विभाग और राजस्थान सरकार का तुगलकी फरमान : अजय सैनी

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पावटा। गरीब व जरूरतमंद परिवार के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके उसके लिए एक मात्र सहारा प्रदेश के सरकारी स्कूल है, किंतु अब यहां भी राजनीतिक भेदभाव के चलते प्रदेश की भजन लाल सरकार इन सरकारी स्कूलों में अध्ययन्तर बच्चों का भविष्य बनाने की बजाय बिगाड़ने में लग चुकी है।

सामाजिक कार्यकर्ता अजय सैनी ने कहा कि राजस्थान में नई सरकार का गठन दिसम्बर माह में हुआ था, किंतु इन विगत 04 महीनों में शिक्षा विभाग में फैली अव्यवस्थाओं को दुरुस्त करने को लेकर मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री का एक भी आदेश नही आया और ना ही उन अव्यवस्थाओं की तरफ झांका गया, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने इन चार महीनों में शिक्षा विभाग को केवल पब्लिकसिटी स्टंट पाने का केंद्र बनाकर धार्मिक भेदभाव पर बयानबाजी कर कुष्ठ राजनीति को बढ़ावा देने का कार्य किया। सैनी का कहना है की माना राजनीति द्विवेशना सभी में होती है किंतु उस द्विवेशना के चलते बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं किया जा सकता है।

अजय सैनी ने कहा की शिक्षा विभाग और राजस्थान सरकार का यह तुगलकी फरमान है, सरकारी स्कूलों को अग्रेजी से हिंदी माध्यम में तब्दील करने का निर्णय बतलाता है की सरकार और प्रशासन निजी स्कूलों के दबाव में आकर कार्य कर रही है, इसलिए बच्चों को बेहतर शिक्षा व्यवस्था से वंचित किया जा रहा है। सरकारी स्कूलों में व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने की बजाय व्यवस्थाओं को बिगाड़ा जा रहा है जिसको स्वयं शिक्षा विभाग और राजस्थान सरकार अंजाम दे रही है।

उन्होंने कहा की दरअसल, राजस्थान की पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने प्रदेश में हिंदी माध्यम वाले सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में तब्दील करने का कार्य किया तो वह भविष्य की जरूरत थी, किंतु अब वर्तमान भाजपा सरकार उन्हीं स्कूलों को वापस अंग्रेजी से हिंदी माध्यम में तब्दील कर बच्चों के भविष्य को गर्त में डाल रही है। शिक्षा विभाग का यह निर्णय बताता है कि प्रदेश में गरीब और जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को बेहतर शिक्षा व्यवस्था बिलकुल भी रास नहीं आ रही है, अगर उन्हें अच्छी शिक्षा लेनी है तो उन्हें अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाकर स्कूलों की मनमानी का शिकार होना पड़ेगा।

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