जयपुर हेरिटेज की मेयर सहित 50 पार्षदों ने इस्तीफा दिया, CM को भेजा, अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर

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जयपुर. राजस्थान में चुनावी साल शुरू होने के साथ ही कांग्रेस सरकार की परेशानी भी बढ़ने लगी है। जयपुर के नगर निगम हेरिटेज की मेयर सहित 50 पार्षदों ने इस्तीफा दे दिया है और अपनी ही सरकार के खिलाफ 16 घंटे से धरने पर हैं। इससे पहले शुक्रवार शाम को निगम के अतिरिक्त आयुक्त के साथ पार्षदों और मेयर की जमकर बहसबाजी हुई और गुस्साए पार्षदों ने आयुक्त को कमरे में बंद कर दिया। मेयर मुनेश गुर्जर का आरोप है कि आयुक्त मनमानी करते हैं और अभद्र भाषा का उपयोग करते हैं। गुर्जर ने कहां की अतिरिक्त आयुक्त राजेंद्र वर्मा जनता के काम और सफाई जैसे मुद्दों को लेकर लगातार काम में भी ढिलाई बरत रहे हैं। जिससे शहर की सफाई व्यवस्था चौपट हो रही है। जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे में अगर जल्द से जल्द सरकार ने अतिरिक्त आयुक्त को निलंबित नहीं किया तो मेरे साथ नगर निगम के पचास पार्षद बोर्ड और पार्षद पद से इस्तीफा देंगे। हालांकि, इसके बाद देर शाम मेयर ने 50 पार्षदों के साथ अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री को भेज दिया।

कमरे में ही बंधक बनाया
दरअसल, नगर निगम के पार्षदों को उनके इलाकों में पांच अस्थायी कर्मचारी दिए जाते हैं। इसके लिए अतिरिक्त आयुक्त के निर्देशन में गठित टीम टेंडर प्रकिया निकलने वाली थी। पार्षदों का आरोप है कि राजेन्द्र वर्मा पिछले 15 दिनों से टेंडर नोटशीट पर साइन नहीं कर रहे हैं। जबकि क्षेत्र में मानसून को देखते हुए कर्मचारियों की आवश्यकता है। 15 दिन बाद शुक्रवार को 50 पार्षद महापौर के पास गए और टेंडर नोटशीट पर साइन कराने की बात कही।

इस पर महापौर मुनेश गुर्जर ने अतिरिक्त आयुक्त वर्मा को अपने ऑफिस में बुलाया। लेकिन वर्मा के नहीं आने पर सभी पार्षद उनके कक्ष में गए और उन्हें जबरन महापौर के कक्ष में ले आए। जहां वर्मा ने एक बार फिर साइन नहीं करने की बात कही। इसके बाद वर्मा की महापौर और पार्षदों से बहस हो गई। जिससे नाराज पार्षदों ने राजेंद्र वर्मा को महापौर कक्ष में बंद कर दिया। हालांकि, इसके कुछ देर बाद मंत्री महेश जोशी मौके पर पहुंचे। जिसके बाद वर्मा महापौर के कमरे से निकल सके। इसके बाद पुलिस की मौजूदगी ने वह निगम से देर रात घर के लिए रवाना हुए। महापौर मुनेश गुर्जर ने कहा कि अतिरिक्त आयुक्त राजेंद्र वर्मा लगातार अपने काम में लापरवाही बरत रहे हैं। जब मैंने पार्षदों के साथ उनसे बात करनी चाही। तो उन्होंने मेरे साथ अभद्र भाषा और तू तड़ाक से बात करना शुरू कर दिया। जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करूंगी। मैंने वर्मा की शिकायत मंत्री महेश जोशी और मुख्यमंत्री तक पहुंचाई है। हमें हेरिटेज में इस तरह के अधिकारियों की जरूरत नहीं है। ऐसे में जब तक सरकार वर्मा को नहीं हटाएगी। मैं पार्षदों के साथ यही धरने पर बैठी रहूंगी। हमने मुख्यमंत्री को भी अपने मांग पत्र के साथ त्याग पत्र भी भेज दिया है। जिसमें मेरे साथ 50 पार्षदों ने भी साइन किए हैं।

अतिरिक्त आयुक्त बोले: मैंने अभद्र भाषा का उपयोग नहीं किया
इस पूरे मामले पर जब हमने नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त राजेंद्र वर्मा से बात की। तो उन्होंने कहा कि मैंने किसी तरह की अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं किया है। बल्कि कुछ पार्षदों ने मेरे साथ बदतमीजी की है। पार्षद जिस नोट शीट पर मेरे साइन करवाना चाहते हैं। उस पर फिलहाल कमेटी का निर्णय नहीं हुआ है। ऐसे में कमेटी के निर्णय के बाद ही इस पर साइन करूंगा। जलदाय मंत्री महेश जोशी ने कहा कि नगर निगम में हुए विवाद के बाद में हेरिटेज मुख्यालय पहुंचा था। जहां पार्षदों और अधिकारी दोनों से बातचीत कर दोनों का पक्ष सुना है। मैं दोनों पक्षों की बात उच्च स्तर पर रखूंगा। ताकि जल्द ही इस समस्या का समाधान हो सके। बता दें कि शुक्रवार शाम 4:00 बजे बाद नगर निगम में कांग्रेसी पार्षद इकट्ठा होना शुरू हो गए थे। इसके बाद पार्षद अतिरिक्त आयुक्त राजेंद्र वर्मा के कक्ष में पहुंचे। जहां उन्होंने अस्थाई सफाई कर्मचारियों की फाइल पर साइन करने की मांग की। वर्मा ने जब पार्षदों की बात नहीं मानी। तो शाम लगभग 5:30 बजे पार्षदों ने वर्मा की महापौर मुनेश गुर्जर से शिकायत कर दी। इसके बाद महापौर ने अतिरिक्त आयुक्त को अपने कमरे में बुलाया। लेकिन जब वह नहीं पहुंचे। तो पार्षद शाम 6 बजे अतिरिक्त आयुक्त को लेकर महापौर के कमरे में पहुंचे। जहां महापौर और पार्षदों ने अतिरिक्त आयुक्त से एक बार फिर फाइल पर साइन करने के लिए कहा। लेकिन जब अतिरिक्त आयुक्त नहीं साइन करने से मना कर दिया तो पार्षद नाराज हो गए और उन्हें वहीं कमरे में बिठा लिया। विवाद बढ़ने के बाद शाम लगभग 7:15 बजे एक मंत्री महेश जोशी नगर निगम पहुंचे और दोनों पक्षों को सुना। लेकिन, मामला नहीं सुलझ पाया। इसके बाद महेश जोशी जैसे ही रवाना हुए। इसके कुछ देर बाद अतिरिक्त आयुक्त भी पुलिस की मौजूदगी में भारी विरोध के बावजूद नगर निगम मुख्यालय से निकल गए। हालांकि इसके बाद भी देर रात से अब तक महापौर मुनेश गुर्जर के साथ 40 से ज्यादा पार्षद नगर निगम मुख्यालय में ही धरने पर बैठे है।

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