खुमैनी की राह पर चलकर खामनेई ने नेतन्याहू को फंसा दिया, क्या नया फ्रंट खोलने से बच रहा इजरायल?

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क्या इज़राइल और ईरान के बीच भयानक युद्ध छिड़ने वाला है? पिछले दो दशकों के दौरान अक्सर इज़राइल और ईरान के बीच सियासी सरगर्मियां तेज होते ही फिर ठंडी हो जाती है। हालाँकि, इस साल की शुरुआत तक ऐसा नहीं था कि इस्लामिक रिपब्लिक ने वास्तव में इज़राइल पर सीधे हमला करने का फैसला किया था। ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस के तहत सीरिया के दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर इजरायली हवाई हमले के कुछ महीने बाद ईरान ने 13-14 अप्रैल, 2024 की रात को इजरायली ठिकानों पर लगभग 300 बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और आत्मघाती ड्रोनों की बौछार कर दी। हालांकि इजरायल पर ईरान के इस हमले से उसे कोई खास क्षति नहीं हुई और पहली नजर में हमला केवल इज्जत बचाने के लिए किया गया सरीखा ही नजर आया। हमले का उद्देश्य कम से कम नुकसान पहुंचाना था।
तेहरान ने ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस -2 के रूप में उन हमलों को दोहराने में कुछ हद तक कामयाब हो गई है। ईरान में भी कई वरिष्ठ सरकारी पदों पर मोसाद के एजेंट होने की बात सामने आ रही है। इजरायली जासूसी प्रयासों को विफल करने के लिए स्थापित एक प्रमुख ईरानी खुफिया इकाई का प्रमुख वास्तव में एक इजरायली एजेंट था। यूनिट के प्रमुख के अलावा, डिवीजन के 20 अन्य खुफिया संचालक इजरायली एजेंसी मोसाद के एजेंट पाए गए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोसाद के एजेंट तेहरान के एक गोदाम में घुस गए और छह घंटे के ऑपरेशन में तिजोरियां तोड़कर 100,000 से अधिक वर्गीकृत कागजात ले गए। मोसाद की घुसपैठ ने न केवल ईरान की आंतरिक कमजोरियों को उजागर किया है, बल्कि लेबनान में उसके प्रॉक्सी नेटवर्क की कमजोरियों को भी उजागर किया है।

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