नयी दिल्ली। जीत के जश्न में गले मिलते, हार के दुख में एक दूसरे के आंसू पोछते , क्रीज पर एक दूसरे की उपलब्धि को सराहते विराट कोहली और रोहित शर्मा फिल्म ‘शोले’ के जय और वीरू की तरह हमेशा एक दूसरे के साथ खड़े नजर आये और अब दोनों ने टी20 क्रिकेट से विदा भी साथ में ली। जीत के बाद कंधे पर तिरंगा लपेटे या एक दूसरे के गले लगकर रोते दोनों की तस्वीरें 140 करोड़ भारतीयों के दिल में घर कर गई। दोनों की शख्सियत में कोई समानता नहीं। एक आग है तो दूसरा पानी।
एक ‘वड़ा पाव’ खाने वाला ठेठ मुंबइया तो दूसरा ‘छोले भटूरे’ का शौकीन दिल्ली वाला लेकिन फिर भी पिछले 15 साल से दोनों एक दूसरे के पूरक रहे हैं। दुख में , खुशी में, जीत में और हार में। वेस्टइंडीज में दक्षिण अफ्रीका को हराकर टी20 विश्व कप जीतने के बाद रोहित मैदान पर लेट गए , आंखें आंसुओं से भीगी थी। वहीं कोहली अपनी भावनायें छिपाते कुछ देर के लिये चुपचाप ड्रेसिंग रूम में चले गए। वह जीत का जश्न मनाना चाहते थे लेकिन अकेले भी रहना चाहते थे। दोनों के बीच साझा क्या है , एक दूसरे के हुनर और उपलब्धियों का सम्मान।
रोहित को बखूबी पता था कि कोहली ने संन्यास का फैसला ले लिया है, फाइनल का नतीजा चाहे जो हो। यही वजह है कि मैच के बाद पुरस्कार वितरण में रोहित ने उन्हें वह मौका दिया और अपने संन्यास का ऐलान नहीं किया। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में इसकी घोषणा की। जब एक ही दौर में दो दिग्गज साथ खेल रहे हों तो मतभेद होना लाजमी है क्योंकि कहते हैं ना कि एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकती। भारतीय क्रिकेट में इतना कुछ दांव पर होता है कि दो तलवारें एक म्यान में साथ रहना सीख जाती हैं।
सुनील गावस्कर और कपिल देव अस्सी के दशक में साथ खेल रहे थे जब सोशल मीडिया नहीं था। उस दौर में कप्तानी को लेकर म्युजिकल चेयर हुआ करता था लेकिन इन दोनों धुरंधरों का एक दूसरे के प्रति सम्मान कम नहीं हुआ। रोहित और विराट सोशल मीडिया के दौर के दिग्गज है। तिल का ताड़ बनाने वाले इस दौर में दोनों ने अपनी गरिमा बनाये रखी। विश्व कप सेमीफाइनल 2019 में भारत की हार के बाद दोनों के संबंधों में दरार की खबरें आने लगी। कोहली ने टी20 कप्तानी छोड़ने का फैसला किया और बीसीसीआई ने सीमित ओवरों के दोनों प्रारूपों में रोहित को कप्तान बनाया।



