पाकिस्तान की राजनीति दहशतगर्दी की बैसाखी के सहारे टिकी हुई है। पाकिस्तान एकलौता ऐसा देश है जहां आतंकवाद की दो कैटेगरी है। अच्छा आतंकवाद और बुरा आतंकवाद। अच्छा वो जिन्हें पाकिस्तान सेना का समर्थन हासिल है और बुरा वो जो पाकिस्तानी सेना के खिलाफ काम करता है। इसमें सबसे बड़ा नाम तहरीक-ए-तालिबान यानी टीटीपी है। आतंकपरस्त पाकिस्तान में आतंकियों के हौसले इस कदर बुलंद हैं कि सेना भी उनके आगे घुटने टेकने के लिए मजबूर है। हाल ही में अलगाववादियों ने बलूचिस्तान में कई बसों को रोककर आईडी कार्ड दिखाकर दर्जनों पंजाबी मजदूर की हत्या कर दी थी। इस वारदात के बाद पाकिस्तान के सीमांत प्रांत खैबर पख्तूनवा में सेना के एक लेफ्टिनेंट कर्नल और उसके दो भाईयों को टीटीपी के आतंकियों ने किडनैप कर लिया था।
पाक सेना के अफसर की रिहाई के बदले आतंकियों ने अपनी छह साथियों की रिहाई के साथ ही 10 करोड़ पाकिस्तानी रुपए भी वसूल लिए हैं। सूत्रों के हवाले से मिली खबर में ये कहा गया है कि पाकिस्तानी सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल और तीन नागरिकों को छुड़ाने की एवज में पाकिस्तान की सरकार को छह टीटीपी आतंकी और 10 करोड़ पाकिस्तानी रुपए भी फिरौती में देने पड़े हैं। गौरतलब है कि 28 अगस्त को डेरा इस्माइल खां से टीटीपी ने लेफ्टिनेंट कर्नल खालिदा मीर और उनके तीन रिश्तेदारों को अगवा कर लिया था। टीटीपी ने फिर उनका एक वीडियो भी जारी किया था जिसमें वो पाकिस्तानी सेना अपनी खैरियत बताते हुए टीटीपी की मांग को पूरा करने का अनुरोध कर रहे थे। पाकिस्तानी सेना ने प्रेस रिलीज जारी कर इसकी जानकारी दी। जिन टीटीपी आतंकियों ने इन चार लोगों को अगवा किया था वो टीटीपी के गंडापुर गुट के थे।