हर साल मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान शिव के रौद्र रुप काल भैरव की जयंती मनाई जाती है। हिंदू धर्म इस तिथि को बेहद खास माना जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान शंकर ने काल भैरव रूप में अवतार लेकर अधर्म और अहंकार का नाश किया था। इसे भैरव अष्टमी, कालाष्टमी या काल भैरव जयंती के नाम से जाना जाता है। इस दिन काल भैरव मंदिरों में विशेष तौर पर पूजा-अर्चना, भैरव चालीसा और रात्रि के समय जागरण जरुर किया जाता है। जो भक्तजन भगवान काल भैरव की पूजा करते हैं, उन्हें भय, रोग, अकाल मृत्यु और नकारात्मक शक्तियां सदैव दूर होती हैं। जो साधक ईमानदारी से काल भैरव की पूजा करता है, उन्हें जीवन में साहस, आत्मबल और सफलता प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, काल भैरव को काशी का कोतवाल कहा जाता है। इतना ही नहीं, भगवान काल भैरव की पूजा करने से राहु-केतु और शनि जैसे ग्रह दोष शांत होते हैं। इस दिन सरसों का तेल का दीपक जलाएं, काली दाल और काले तिल भैरव जी को अर्पित करें।
कब है काल भैरव जयंती 2025?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार मार्गशीर्ष मास की कृष्ण अष्टमी तिथि की शुरुआत 11 नवंबर 2025, मंगलवार की रात 11 बजकर 8 मिनट पर शुरु होगी और इसका समापन 12 नवंबर 2025, बुधवार की रात 10 बजकर 58 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार काल भैरव जयंती 12 नवंबर 2025, बुधवार को मनाई जाएगी।
शुभ मुहूर्त
– ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 56 मिनट से लेकर सुबह 5 बजकर 49 मिनट तक
– प्रातः सन्ध्या- सुबह 5 बजकर 22 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 41 मिनट तक
– अभिजित मुहूर्त कोई नहीं है।
– विजय मुहूर्त- दोपहर 1 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 36 मिनट तक
– गोधूलि मुहूर्त- शाम 5 बजकर 29 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 55 मिनट तक
– सायाह्न सन्ध्या- शाम 5 बजकर 29 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 48 मिनट तक
– अमृत काल- शाम 4 बजकर 58 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 35 मिनट तक
पूजा विधि
– सबसे पहले मंदिर या घर के पूजा स्थल पर भगवान काल भैरव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
– दीपक में सरसों का तेल डालकर प्रज्वलित करें।
– इसके बाद भैरव चालीसा या ॐ भैरवाय नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
– अब आप भैरव जी को काले तिल, उड़द दाल, तेल और नारियल का भोग अर्पित करें।
– रात के समय जागरण कर भैरव जी मंत्रों का जाप करें।



