Bhojshala पर ASI Report के बाद अब क्या होगा? काशी, मथुरा, भद्रकाली, भोजशाला कैसे और कब मुक्त होंगे?

ram

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने विवादित भोजशाला-कमाल-मौला मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की अपनी रिपोर्ट मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ को सौंप दी है। एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में कई चौंकाने वाली जानकारियां दी हैं जिससे हिंदुओं का पक्ष मजबूत हुआ है। हम आपको बता दें कि भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष 11वीं सदी के इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है। हम आपको याद दिला दें कि भोजशाला को लेकर विवाद शुरू होने के बाद एएसआई ने सात अप्रैल 2003 को एक आदेश जारी किया था। इस आदेश के अनुसार पिछले 21 साल से चली आ रही व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है। ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ ने अपनी याचिका में इस व्यवस्था को चुनौती दी है।

इस मामले में नया मोड़ यह है कि उच्चतम न्यायालय ने ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ के खिलाफ याचिका सूचीबद्ध करने पर विचार करने को लेकर सहमति जता दी है। हम आपको बता दें कि ‘मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसाइटी’ ने शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की थी, जिसमें मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के 11 मार्च के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें पूजा स्थल का “वैज्ञानिक सर्वेक्षण” करने का आदेश दिया गया था, ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह किस समुदाय का है। हम आपको याद दिला दें कि उच्च न्यायालय ने अपने 11 मार्च के आदेश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को छह सप्ताह के भीतर भोजशाला परिसर का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था। उच्च न्यायालय ने 11 मार्च को अपने 30 पृष्ठ के आदेश में कहा था, ‘‘एएसआई के महानिदेशक/अतिरिक्त महानिदेशक की अध्यक्षता में एएसआई के कम से कम पांच वरिष्ठतम अधिकारियों की एक विशेषज्ञ समिति द्वारा व्यापक रूप से तैयार उचित दस्तावेजी रिपोर्ट इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तिथि से छह सप्ताह की अवधि के भीतर इस अदालत के समक्ष प्रस्तुत की जानी चाहिए।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *