वक्फ संशोधन बिल राज्यसभा में भी पास, पक्ष में पड़े 128 वोट

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नई दिल्ली। राज्यसभा से वक्फ संशोधन बिल पारित हो गया है, 12 घंटे से ज्यादा चली संसद में इस मुद्दे पर काफी मंथन हुआ, पक्ष-विपक्ष के तर्क देखने को मिले। अब इस बिल के सपोर्ट में 128 वोट पड़े हैं, यानी कि एक स्पष्ट बहुमत के साथ इसे पारित करवाया गया है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा। अब इस बिल के पारित होने का मतलब है कि सरकार की रणनीति कामयाब रही है।

सरकार ने कैसे पार की 2 चुनौतियां
असल में सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी कि बीजेपी के पास लोकसभा में अपने दम पर बहुमत नहीं थी, ऐसे में समर्थन एनडीए सहयोगियों का चाहिए था। वहां भी सारा खेल जेडीयू और टीडीपी का था क्योंकि दोनों ही पार्टियां मुस्लिम हितैषी मानी जाती हैं। लेकिन सरकार इन दोनों ही अपने सहयोगियों को मजबूती से साथ रखा, इसी वजह से पहले लोकसभा में कोई रुकावट नहीं आई और फिर राज्यसभा का रास्ता भी साफ हो गया।

इसके ऊपर बीजेडी ने भी ऐन वक्त पर खेल करते हुए सांसदों को अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने की नसीहद दे दी। इस वजह से माना जा रहा है कि वहां से भी कुछ क्रॉस वोटिंग हुई है, जगन मोहन रेड्डी की पार्टी ने भी कोई व्हिप जारी नहीं की थी, ऐसे में उनके सांसद भी आजाद ही रहे। इन समीकरणों ने ही दोनों सदनों में सरकार की राह को आसान किया और लोकसभा में 240 सीटें लाने वाली बीजेपी को एक और जीत मिल गई।

जानकारी के लिए बता दें कि इस बिल पर चर्चा के दौरान विपक्ष की तरफ से कई संशोधन रखे गए थे, सभी पर अलग से वोटिंग तक करवाई गई। लेकिन पर्याप्त नंबर नहीं होने की वजह से सभी संशोधन खारिज होते चले गए और सरकार की राह काफी आसान दिखी। चर्चा के दौरान कई मौकों पर इस बात का मुद्दा उठा कि मुस्लिमों का अधिकार छीना जा रहा है, यहां तक कहा गया कि सरकार दूसरे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इसे लेकर आई। लेकिन सरकार की स्पष्ट दलील रही कि पारदर्शिता लाने के लिए और सभी के साथ न्याय करने के लिए इस बिल को लाया गया है।

वैसे चर्चा के दौरान राज्यसभा में बिल पेश करते समय रिजिजू ने कहा कि वक्फ बिल पर 1 करोड़ से ज्यादा सुझाव मिले। जेपीसी पर सरकार ने सभी के सुझाव लिए। वक्फ बिल पर JPC से विस्तार से चर्चा हुई। वक्फ का सही इस्तेमाल होता तो देश बदल जाता। वक्फ संपत्ति से सालाना 12 हजार करोड़ आय होती। कांग्रेस जो नहीं कर पाई वो बीजेपी कर रही है।

कानून मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि आज की स्थिति में, 8.72 लाख वक्फ संपत्तियां हैं। 2006 में, अगर सच्चर समिति ने 4.9 लाख वक्फ संपत्तियों से 12,000 करोड़ रुपये की कमाई का अनुमान लगाया था, तो आप कल्पना कर सकते हैं कि ये संपत्तियां अब कितनी आय उत्पन्न कर रही होंगी।

क्या है वक्फ बिल?
वक्फ (संशोधन) बिल 2024, वक्फ अधिनियम 1995 में बदलाव करने वाला एक विधेयक है। केंद्र सरकार वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, पारदर्शिता और दुरुपयोग रोकने के लिए नियमों को सख्त करने के उद्देश्य से इस बिल को लागू करना चाहती है।

इस बिल के बाद क्या बदलाव होगा?
वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम और महिला सदस्यों को शामिल करना, कलेक्टर को संपत्ति सर्वे का अधिकार देना और वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसलों को हाईकोर्ट में चुनौती देना का प्रावधान शामिल है। अब वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को जबरन ‘वक्फ संपत्ति’ घोषित नहीं कर सकेगा। जानकारी के लिए बता दें कि जवाहर लाल नेहरू सरकार ने साल 1954 में वक्फ एक्ट पास किया था। वहीं, 1995 में वक्फ एक्ट में बदलाव भी किया गया था जिसके बाद हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति दी गई थी। इस एक्ट में वक्फ की संपत्ति पर दावे से लेकर रख-रखाव तक को लेकर प्रावधान हैं। वैसे प्रावधान तो पहले भी होते थे कि किसी जमीन का मालिकाना हक कैसे तय होता था, तब कोई वक्फ नहीं था, कोई बोर्ड नहीं था।

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