केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने शुक्रवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले को ‘गलत’ करार दिया, जिसमें उसने कहा था कि केवल स्तन पकड़ना और ‘पजामी’ का नाड़ा तोड़ना बलात्कार का अपराध नहीं है। आज पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह इस फैसले का समर्थन नहीं करती हैं और अदालत को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा, “मैं इस फैसले का समर्थन नहीं करती हूं और अदालत को भी इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए क्योंकि इसका नागरिक समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।”
इस फ़ैसले पर टिप्पणी करते हुए राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने कहा कि यह बयान बहुत असंवेदनशील है और समाज के लिए बहुत ख़तरनाक है। सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यौन अपराध के एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि एक लड़की का निजी अंग पकड़ना और उसकी पायजामी का नाड़ा तोड़ना, आईपीसी की धारा 376 (दुष्कर्म) का मामला नहीं है, बल्कि ऐसा अपराध धारा 354 (बी) (किसी महिला को निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला) के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।