सूडान में हर तीन में से दो को मदद की जरुरत, पीछे हट रहे दानदाता : यूएन

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जिनेवा । संयुक्त राष्ट्र (यूएन) एजेंसियों ने सूडान में मानवीय संकट के बेहद गंभीर होने को लेकर चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि देश में अकाल फैल रहा है और हिंसक टकराव जारी है जिसमें सभी आयु वर्ग के नागरिकों को बलात्कार समेत अन्य दुर्व्यवहारो का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दानदाता अब पीछे हट रहे हैं। आपात सहायता मामलों के लिए यूएन कार्यालय के प्रवक्ता येन्स लार्क ने शुक्रवार को बताया कि शान्ति हासिल होती नजर नहीं आ रही है, जबकि सूडानी नागरिक इस विशाल मानवीय संकट में फंसे हुए हैं।

लार्क ने कहा, “हर तीन में से दो लोगों को मदद की जरुरत है, यानि तीन करोड़ लोग…इसके लिए व्यापक स्तर पर अन्तरराष्ट्रीय समर्थन की आवश्यकता है लेकिन हम दुनिया भर के दानदाताओं को अपने कदम पीछे हटाते देख रहे हैं।”विश्व खाद्य कार्यक्रम ने अकाल का सामना कर रहे 2.5 करोड़ सूडानी नागरिकों के हालात पर गहरी चिन्ता जताई है।सूडान के लिए यूएन एजेंसी की संचार अधिकारी लेनी किन्ज़ली ने बताया कि दो वर्षों से जारी युद्ध की वजह से सूडान में विश्व की सबसे बड़ी भूख आपदा पैदा हो गई है और अकाल फैल रहा है।

पूर्व राष्ट्रपति उमर अल-बशीर की सत्ता से बेदखली के बाद देश में नागरिक शासन को बहाल किए जाने पर उभरे मतभेदों के बाद, 15 अप्रैल 2023 को सूडान की सशस्त्र सेना और अर्द्धसैनिक बल (आरएसएफ) के बीच हिंसक संघर्षभीषण लड़ाई में देश के अनेक हिस्सों में शहरों को भारी नुकसान हुआ और हजारों आम नागरिक हताहत हुए। कम से कम 1.24 करोड़ लोग बेघर हो गए, जिनमें 33 लाख ने अन्य देशों में शरण ली।पिछले दो वर्षों में स्वास्थ्य केन्द्रों पर 156 हमलों की पुष्टि हुई है, जिनमें 300 से अधिक लोगों की जान गई है और स्वास्थ्य देखभालकर्मियों व मरीजों समेत 270 घायल हुए हैं।महिला सशक्तिकरण के लिए यूएन संस्था के अनुसार, हिंसक टकराव से ग्रस्त इलाकों में 80 फीसदी अस्पतालों में कामकाज ठप है, और मातृत्व मौतों में चिन्ताजनक वृद्धि हो रही है। सूडान में हर 10 में से आठ विस्थापित महिलाओं व लड़कियों की स्वच्छ जल तक पहुंच नहीं है।

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