भवन निर्माण से जुड़ी पर्यावरणीय चिंताओं और इनसे निपटने के उपायों पर प्रशिक्षण

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जयपुर। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव विजय एन. ने कहा कि भवन निर्माणकर्ताओं को निर्माण कार्यों में पर्यावरण प्रदूषण संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण-हितैषी निर्माण सामग्री का इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिल्डर्स को इमारतों की डिजाइन इस प्रकार करनी चाहिए कि इनमें सूरज कीरोशनी और हवा का आवागमन अच्छे से हो सके।

विजय एन. बिल्डरों और वास्तुकारों को निर्माण कार्य से जुड़ी चुनौतियों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से बोर्ड मुख्यालय पर बुधवार को आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्थानीय जलवायु एवं प्राकृतिक परिस्थिति के अनुरूप भवन निर्माण कार्य होना चाहिए जिससे इमारतों में रहना अधिक आरामदायक हो।

कार्यशाला में बताया गया कि निर्माण कार्य के समय सीमेंट, लोहा, एल्युमीनियम जैसे बड़ी मात्रा में कच्चे माल का इस्तेमाल होता है। इनके उत्पादन से ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन होता है, जो वैश्विक तापमान बढ़ाने में 40 की भूमिका निभाती हैं। इसके अतिरिक्त इससे जैव विविधता की हानि, अनुपजाऊ भूमि, वायु, जल व ध्वनि प्रदूषण जैसी समस्याएं स्थानीय स्तर पर भी होती हैं। कार्यशाला में बोर्ड के अतिरिक्त मुख्य अभियंता भुवनेश माथुर ने निर्माण कार्य से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डाला।

इसके बाद एमएनआईटी के प्रोफेसर राजीव श्रृंगी ने भवनों के योजनाबद्ध निर्माण की आधुनिक तकनीकों के बारे में बताया। एमएनआईटी प्रोफेसर संजय माथुर ने ग्रीनहाउस प्रभाव के बारे में जानकारी दी। विभिन्न विशेषज्ञों एवं निर्माण कार्य से जुड़ी प्रमुख संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने ठोस कचरे के निस्तारण, कानूनों का पालन, ऊर्जा-बचत भवन निर्माण और सीवेरेज ट्रीटमेंट प्लांट के डिजाइन और संचालन के बारे में जानकारी दी।

उल्लेखनीय है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में पर्यावरण को लेकर चिंताएं और इनसे निपटने के उपायों को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यशालाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य भविष्य में लोगों को आरामदायक जीवन देने के लिए सुनियोजित एवं पर्यावरण अनुकूल निर्माण कार्य है।

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