जयपुर। मकर संक्रांति के अवसर पर सिटी पैलेस के मुबारक महल की छत पर पतंग महोत्सव उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। देशी-विदेशी पर्यटकों ने सिटी पैलेस से शहर की मशहूर पतंगबाजी का आनंद उठाया। उत्सव में पर्यटकों के लिए निशुल्क पतंग और डोर की व्यवस्था की गई थी। इसका उद्देश्य गुलाबी शहर की पतंगबाजी की प्राचीन परम्परा और संस्कृति को बनाये रखने और शहर में आने वाले पर्यटकों को भारतीय संस्कृति से रूबरू कराना है। इस अवसर पर महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय संग्राहलय की कार्यकारी ट्रस्टी रमा दत्त भी उपस्थित रहीं।
उत्सव के दौरान राजस्थानी लोक गायक द्वारा पारंपरिक राजस्थानी गीतों की प्रस्तुति दी गई। पर्यटकों और आगंतुकों ने पतंग उड़ाने के साथ-साथ पारंपरिक व्यंजनों जैसे दाल की पकौड़ी और तिल के लड्डुओं का भी लुत्फ उठाया।
इस वर्ष भी सिटी पैलेस के सर्वतोभद्र चौक में एचएच. महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय के समय (1835-1880) की विभिन्न प्रकार की चरखियों के साथ तितली के आकार की एक बड़ी पतंग ‘तुक्कल’ भी प्रदर्शित की गई। यह पतंग पर्यटकों के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र रही।
गौरतलब है कि ‘तुक्कल’ पतंग एक विशेष प्रकार की फाइटर-काइट है, जो कि एचएच. महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय के समय से बहुत ही लोकप्रिय है। उस समय की विशेषता थी कि पूर्व राजा- महाराजा मखमल से बनी पतंगें और सूत से बने धागों से पतंगे उड़ाया करते थे। इसे आकर्षक बनाने के लिए इनमें सोने-चांदी के घुंघरू भी लगाई जाती थी। ये पतंगे जहां भी घिरती थीं, वहां से लाने के लिए घुड़सवारों को भेजा जाता था। जो भी घुड़सवार ये पतंग ढूंढ कर लाता था, उन्हें पुरस्कृत किया जाता था।