आफरी में “मृदा एवं जल संरक्षण में वन की भूमिका” पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम

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जोधपुर। भावाअशिप- शुष्क वन अनुसंधान संस्थान, जोधपुर (आफरी) द्वारा विभिन्न सरकारी विभागों के वर्ग-‘ख’ कार्मिकों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज आरम्भ हुआ । पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित यह प्रशिक्षण “मृदा एवं जल संरक्षण में वन की भूमिका ” विषय पर आयोजित किया जा रहा है । प्रशिक्षण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. डी. कुमार, सेवानिवृत प्रधान वैज्ञानिक काजरी रहे। डॉ. कुमार ने बताया कि मृदा के गुणों में सतत सुधार एवं जल के विवेकपूर्ण प्रबंधन एवं दक्षतापूर्ण उपयोग के साथ वानिकी एवं कृषि प्रजाति के सही चयन से ही मृदा एवं जल संरक्षण संभव है । आफरी निदेशक डॉ. तरुण कान्त ने अपने उद्बोधन में जल एवं मृदा संरक्षण के लिए वानिकी अनुसन्धान में किये जा रहे कार्यो को बताते हुए विभिन्न विभागों से भाग ले रहे प्रतिभागियों के लिए प्रशिक्षण को महत्वपूर्ण बताया। डॉ संगीता सिंह, समूह समन्वक (शोध) एवं पाठ्यक्रम निदेशक ने संस्थान के कार्यों का परिचय देते हुए कार्यक्रम का परिचय एवं रूपरेखा बताई तथा इस प्रशिक्षण को वानिकी संरक्षण में अन्य कार्मिकों की भूमिका को उपयोगी बताया।

कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में डॉ संगीता सिंह ने “आफरी के अनुसन्धान योगदान का अवलोकन”, डॉ. बिलास सिंह ने “शुष्क भूमि में संसाधन संरक्षण एवं खाद्य सुरक्षा के लिए कृषि वानिकी” तथा हर्षवर्धन राठौड़, प्रकृतिवादी ने “राव जोधा डेजर्ट रॉक पार्क का इतिहास और जानकारी” विषय पर अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए । अनिल सिंह चौहान, एसीटीओ ने प्रशिक्षणर्थियों को आफरी प्रयोगशालाओ एवं विस्तार निर्वचन केंद्र का भ्रमण कराया। कार्यक्रम का संचालन मीता सिंह तोमर एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ संगीता सिंह, समूह समन्वक (शोध) ने किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण, पशु चिकित्सा विभाग, वन विभाग, बीएसआई, जेडएसआई, शिक्षा विभाग, स्टेट रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर, जोधपुर, कृषि विभाग, जोधपुर, आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर, आईसीआईसीआई फाउंडेशन एवं यूनियन बैंक ऑफ़ इण्डिया के कुल 36 कार्मिक भाग ले रहे। प्रशिक्षण कार्यक्रम में आफरी के समस्त अधिकारी, वैज्ञानिक एवं मुख्य तकनीकी अधिकारी उपस्थित रहे ।

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