प्रतापगढ़। राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहर मिशन के अंतर्गत तीन दिवसीय ऑनलाइन कृषक प्रशिक्षण आचार्य एवं केंद्र अधीक्षक कृषि विज्ञान केंद्र प्रतापगढ़ डॉ. योगेश कनौजिया के मुख्य आतिथ्य में आयोजित किया गया। प्रशिक्षण के पहले दिन 20 फरवरी को कृषि विज्ञान केंद्र प्रतापगढ़ पर कृषि को ऑनलाइन प्रोजेक्टर स्क्रीन के माध्यम से तथा 21-22 फरवरी को संबंधित कृषक समूह को उनके मोबाइल फोन पर ऑनलाइन प्रशिक्षण प्रदान किया गया। डॉ. कनोजिया ने उपस्थित जन को संबोधित करते हुए मधुमक्खी पालन की उपयोगिता एवं आवश्यकता पर विस्तार से जानकारी दी।
इस अवसर पर उद्यान विभाग के उपनिदेशक रामकृष्ण वर्मा ने मुख्य अतिथि व प्रशिक्षण आर्थिक शिक्षकों का स्वागत किया व अपने स्वागत उद्बोधन में उद्यान विभाग द्वारा आयोजित प्रशिक्षण के महत्व को समझाया और बताया कि खाद्यान्न सुरक्षा के लिए मधुमक्खियां बहुत आवश्यक है क्योंकि अधिकतर उद्यानिकी फसलों, फल, सब्जियों, फूलों और औषधीय फसलों में परागण क्रिया मधुमक्खियों के द्वारा ही होती है। परागण क्रिया द्वारा ही फल एवं बीजों का निर्माण होता है इसलिए मधुमक्खियों को प्रकृति में सुरक्षित रखना बहुत आवश्यक है इस अवसर पर कीट वैज्ञानिक महाराणा प्रताप कृषि महाविद्यालय उदयपुर के डॉ. एस रमेश बाबू द्वारा कृषकों को मधुमक्खी पालन हेतु विभिन्न प्रजातियां जैसे एपिस मेेलीफेरा, एपिस सेरेना, एपिस फ्लोरा (छोटी मधुमक्खी) आदि के भोजन और आवास की जानकारी भी प्रदान की गई।
इसी के साथ ही आचार्य उद्यान विभाग महाराणा प्रताप कृषि विद्यालय उदयपुर डॉ. लक्ष्मी नारायण महावर ने ऑनलाइन जुड़कर कृषक जलवायु खंड 4 बी दक्षिणी आर्द्र मैदानी क्षेत्र जिसमें प्रतापगढ़ जिला स्थित है में वर्ष भर फूलों की खेती करने हेतु विभिन्न फुल प्रजातियों की शस्य क्रियाओं की जानकारी दी ।
इसी के साथ ही राजकीय उद्यानिकी एवं मानिकी महाविद्यालय झालावाड़ के कीट विज्ञान सहायक आचार्य डॉ सुरेश कुमार जाट ने मधुमक्खियों से व्यावसायिक शहद उत्पादन तकनीक में मधुमक्खी बॉक्स मोना संग्रह संरचना के बारे में बताया और मधुमक्खियां को वर्ष भर जिंदा रखने के लिए कृत्रिम भोजन, मोनागृह की साफ सफाई, मोनागृह को रखने के लिए स्थान तथा मधुमक्खियां के आक्रमण से बचाव आदि की विस्तृत जानकारी दी गई। उन्होंने यह भी बताया कि मक्खियां कैसे सर्वे करती है। इसी के साथ ही आचार्य किट विज्ञान एवं केंद्रीय अधीक्षक कृषि विज्ञान केंद्र बूंदी ने हरीश वर्मा ने मधुमक्खी पालन हेतु विभिन्न प्रजातियों के व्यवहार को और मोनागृह को मौसम अनुसार एक किस से दूसरे स्थान पर स्थानांतरण में सावधानियां बरतने से संबंधित जानकारी दी।
आचार्य एवं विभाग अध्यक्ष (उद्यान विभाग) महाराणा प्रताप कृषि महाविद्यालय उदयपुर ने हीरालाल बैरवा ने बगीचों के साथ मधुमक्खी पालन अपनाकर अतिरिक्त आमदनी बढ़ाने की जानकारी दी और मधुमक्खियां के लिए भोजन एवं शहद बनाने के लिए संतरा, आम नींबू आदि बगीचों में किये जाने के बारे में बताया। आचार्य एवं केंद्र अधीक्षक कृषि विज्ञान केंद्र प्रतापगढ़ डॉ. योगेश कनौजिया द्वारा मधुमक्खी किट के जीवन चक्र की अवस्थाओं एवं इनका फसलों के परागण क्रिया में योगदान की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मधुमक्खियां से फसल उत्पादन को भी बढ़ाया जा सकता है। प्रशिक्षण प्रभारी सुरेश मीणा, कृषि अधिकारी उद्यान एवं सह प्रभारी नंदकिशोर प्रजापत संपतराम मीणा सहायक निदेशक उद्यान ने विभिन्न विशेषज्ञों को ऑनलाइन जोड़कर आयोजन को सफल बनाया ।