जयपुर । प्रदेश के देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत ने कहा है कि वरिष्ठ नागरिक जनों को देवस्थान विभाग की ओर से कराए जाने वाले तीर्थ यात्राओं में उनकी सुविधा और सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाए और पिछली यात्राओं के अनुभवों को देखते हुए उसी के आधार पर यात्राओं का रूट तय किया जाए। कुमावत सचिवालय के सभा कक्ष में बजट घोषणा के अंतर्गत वरिष्ठ नागरिक तीर्थ यात्रा योजना के क्रियान्वयन की समीक्षा बैठक में बोल रहे थे।बैठक में सचिव, देवस्थान और कार्मिक विभाग के के पाठक ने विस्तार से जानकारी दी और देवस्थान विभाग के नए बनाए जा रहे वेबसाइट का भी प्रदर्शन किया। कुमावत ने कहा कि अगली तीर्थ यात्रा से पहले नई वेबसाइट लॉंच करने का प्रयास करें।
बैठक में रेल और हवाई यात्रा के लिए तीर्थ स्थलों के निर्धारण पर चर्चा करते हुए देवस्थान मंत्री ने कुछ वर्तमान तीर्थस्थलोें के स्थान पर नए तीर्थस्थलों को जोड़ने का सुझाव दिया जिनमें मुख्य रूप से त्र्यंबकेश्वर, दश्मेश्वर, गोवा और आगरा के मंदिरों को जोड़ा गया है। तीर्थयात्राओं के कुल 13 रूट तय किए गए हैं। एक यात्रा रूट ऐसा है जिसमें चार ज्यातिर्लिगों के दर्शन एक बार में ही हो जाएंगे।बैठक में बताया गया कि पिछले वर्ष 100 करोड़ रुपये का व्यय कर इस योजना के तहत 30 हजार यात्रियों को यह सुविधा दी गई थी जबकि इस वर्ष 50 हजार यात्रियों को इस योजना का लाभ मिल सकेगा। जल्द ही आवेदन करने की तिथि घोषित की जाएगी। जिन यात्रियों ने पूर्व में जनाधार के माध्यम से अपना आवेदन कर रखा है उन्हें दुबारा आवेदन करने की जरूरत नहीं है लेकिन वे अपने रूट में बदलाव कर सकते हैं।
देवस्थान मंत्री ने कहा कि जिन रेलगाड़ियों में यात्रियों को यात्रा कराई जा रही है उसकी साज सज्जा और साफ सफाई का भी विशेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि जिन भी स्थानों को रेलगाड़ी में दर्शाया जाए उन स्थानों का नाम भी उनके नीचे अंकित किया जाए जिससे राज्य के बाहर के लोगों को भी उनकी जानकारी हो सके और प्रदेश के प्रति उनका आकर्षण बढ़े जिससे प्रदेश में पर्यटन को भी बढ़ावा मिल सकेगा।कुमावत ने निर्देश दिया कि मंदिरों के आय व्यय में पारदर्शिता होनी चाहिए। सभी श्रेणी के मदिरों का परिसर के वातावरण, दर्शन की स्थिति और सुविधाओं के आधार पर वर्गीकरण किया जाए और उसके आधार पर मंदिरों की व्यवस्था को सुदृढ किया जाए। उन्होंने मंदिरों के सर्वे के लिए एक टूल बनाकर उनका सर्वे कराने का निर्देश दिया।

तीर्थयात्राओं के कुल 13 रूट – एक यात्रा रूट ऐसा है जिसमें चार ज्यातिर्लिगों के दर्शन एक बार में ही हो जाएंगे
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