विकसित भारत के निर्माण में वन्दे मातरम् की भावना हमारी प्रेरणा : मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा

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जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि हम सभी राष्ट्रीय चेतना के महान गीत वन्दे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने के साक्षी बन रहे हैं तथा अमर काव्य की वंदना कर रहे हैं। वन्दे मातरम् ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को स्वर दिया जिसने करोड़ों भारतीयों के हृदय में राष्ट्रप्रेम की ज्वाला प्रज्वलित की। उन्होंने कहा कि यह केवल एक गीत नहीं है बल्कि हमारी सामूहिक चेतना, हमारी आत्मा की पुकार तथा मातृभूमि के प्रति हमारी अनंत श्रद्धा का प्रतीक है।

शर्मा शुक्रवार को सवाई मानसिंह स्टेडियम में राष्ट्रगीत वन्दे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय जी ने अपने उपन्यास आनंदमठ में इस अमर रचना को लिखा, तब शायद उन्हें भी यह अनुमान नहीं था कि ये पंक्तियां भारत माता की आजादी के लिए लड़ने वाले लाखों वीरों का युद्धनाद बन जाएंगी। उन्होंने कहा कि यह गीत हमारे स्वतंत्रता संग्राम का प्राणतत्व बना, क्रांतिकारियों का मंत्र और एकता का सूत्र बना। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने कोलकाता में इसे गाया तो पूरा सभागार भावविभोर हो उठा। आजादी की लड़ाई से अबतक, वन्दे मातरम् हर आंदोलन, जुलूस एवं भारतीय की जुबान पर है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम राष्ट्रगीत के 150 वर्षों का ऐतिहासिक उत्सव मना रहे हैं। युवा भारत के भविष्य हैं, राष्ट्र की आशा हैं और इस महान विरासत के संरक्षक हैं। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज की अंतरिम सरकार की घोषणा के समय भी वन्दे मातरम् गाया था। क्रांतिकारी जब फांसी के तख्ते पर चढ़ते थे तो उनके होठों पर भी वन्दे मातरम् होता था। अंग्रेज इस गीत से इतने भयभीत थे कि इसे सार्वजनिक रूप से गाने पर प्रतिबंध लगा दिया था।

शर्मा ने कहा कि वन्दे मातरम् में भारतीयों को एक सूत्र में बांधने की शक्ति है। इस गीत में गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए राष्ट्रभक्तों को आत्मशक्ति देने की ऊर्जा है। यह केवल राजनीतिक नारा नहीं है बल्कि एक आध्यात्मिक शक्ति है जो हमारी सामूहिक चेतना को जागृत करने की क्षमता रखती है। उन्होंने कहा कि यह गीत हमें हमारी साझी पहचान से तथा जड़ों से जोड़ता है। वन्दे मातरम् केवल अतीत की धरोहर नहीं है बल्कि आज भी उतना ही प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि जब हम राष्ट्र निर्माण की बात करते हैं तथा विकसित भारत का सपना देखते हैं तो वन्दे मातरम् की भावना ही हमारी प्रेरणा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का भारत विश्व में अपनी पहचान बना रहा है। हम अंतरिक्ष में चंद्रयान भेज रहे हैं, डिजिटल क्रांति का नेतृत्व कर रहे हैं तथा आर्थिक शक्ति बन रहे हैं। यह सब अपनी जड़ों से जुड़े होने तथा अपनी संस्कृति पर गर्व करने से ही संभव हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि वन्दे मातरम् हमारी चेतना, राष्ट्र की अखंडता और एकता का सूत्र है। आज वन्दे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर हमें यह संकल्प लेना होगा कि हम इस गीत की भावना को अपने जीवन में उतारेंगे।

शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने 1 अक्टूबर को वन्दे मातरम् के 150वें वर्ष के राष्ट्रव्यापी समारोह की स्वीकृति देकर ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह समारोह केवल उत्सव नहीं है बल्कि राष्ट्रीय आंदोलन है जिसका उद्देश्य हमारे नागरिकों को, विशेषकर हमारी युवा पीढ़ी और विद्यार्थियों को इस गीत की मूल क्रांतिकारी भावना से जोड़ना है। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम इसी श्रृंखला की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। वीरों एवं शहीदों की भूमि राजस्थान के हर घर एवं गली में वन्दे मातरम् की गूंज व्याप्त है। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप, रानी पद्मिनी, वीर दुर्गादास राठौड़ से लेकर स्वतंत्रता संग्राम के अनगिनत शहीदों तक इस धरा ने त्याग और बलिदान की अमर कहानियां लिखी हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं को इतिहास के बारे में जानना चाहिए। जब तक स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को नहीं जानेंगे तब तक आजादी के मूल्य को नहीं समझ पाएंगे। उन्होंने कहा कि वन्दे मातरम् का इतिहास जानिए, इसके हर शब्द का अर्थ समझिए तथा राष्ट्रप्रेम को जीवित रखिए। आज सोशल मीडिया पर विदेशी संस्कृति हावी हो रही है लेकिन हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहना है। उन्होंने कहा कि वन्दे मातरम् गाइए, इसे अपने दिल में बसाइए। साथ ही, देशभक्ति को कर्म में बदलिए, केवल नारे लगाना काफी नहीं है। अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करें तथा देश को आगे बढ़ाने में योगदान दें। उन्होंने कहा कि युवा भविष्य के भारत के निर्माता हैं। यह कार्यक्रम एक अवसर है जब आप अपने भीतर राष्ट्रप्रेम की अलख जगा सकते हैं। राजस्थान के हर स्कूल, हर कॉलेज में वन्दे मातरम् की भावना को समझा जाए। हमारे बच्चे केवल इसे गाएं नहीं बल्कि इसके हर शब्द का अर्थ समझें तथा इसके पीछे की कहानी भी जानें। राजस्थान सरकार इस दिशा में हर संभव प्रयास करेगी।

शर्मा ने कहा कि 150 वर्ष का यह उत्सव हमें याद दिलाता है कि हमारी आजादी आसान नहीं थी। लाखों लोगों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर किया तब हमें स्वतंत्रता मिली। हमारा कर्तव्य है कि हम इसकी रक्षा करें और इसे मजबूत बनाएं। उन्होंने कहा कि वन्दे मातरम् के दो शब्द हमें याद दिलाते हैं कि हम भारत माता के सपूत हैं। हमारा दायित्व है कि हम अपने देश को उन्नति के सबसे ऊंचे शिखर पर ले जाएं। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर संकल्प लें कि वन्दे मातरम् की भावना को जीवन में उतारेंगे, कर्तव्यों का पालन करेंगे, राष्ट्रहित को सर्वाेपरि रखेंगे और भारत माता के गौरव को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था उठो, जागो और दुनिया में छा जाओ। आज दुनिया में छा जाने का ही समय है। उन्होंने कहा कि युवा आगे आएं और अपनी ताकत पहचानकर विश्वपटल पर भारत का नाम रोशन करें। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि भारत भूमि के लिए तथा राष्ट्रहित के लिए काम करें। शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश के हर क्षेत्र में काम किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री का कहना है कि देश का युवा, महिला, किसान और मजदूर आगे बढ़ेगा तो हमारा देश-प्रदेश विकसित बनेगा। राज्य सरकार उसी मूलमंत्र के साथ विकसित राजस्थान की दिशा में काम कर रही है। युवाओं को रोजगार देने के साथ ही किसान कल्याण एवं महिला उत्थान के लिए काम हो रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने वन्दे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर एसएमएस स्टेडियम में राज्य स्तरीय प्रदर्शनी का अवलोकन किया। जिसमें 1857 की क्रांति व भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नायकों के योगदान से संबंधित जानकारी एवं विकसित भारत से संबंधित पेंटिंग्स दिखाई गई। इसके पश्चात उन्होंने वन्दे मातरम् सैण्ड आर्ट को भी देखा। समारोह में शर्मा ने प्रदेश के उत्कृष्ट खिलाड़ियों को सम्मानित किया। इसके अतिरिक्त गायक पीयूष पंवार ने राष्ट्र भक्ति के गीतों की सुरमयी प्रस्तुति दी। साथ ही, ड्रोन से स्टेडियम में पुष्प वर्षा की गई।

संपूर्ण कार्यक्रम में आमजन, प्रतिभागियों, स्कूली छात्र-छात्राओं एवं कलाकारों ने एक स्वर में भारत माता की जय और वन्दे मातरम् के जयकारों से पूरे आयोजन को जोश से भर दिया। राजस्थान के लोक कलाकारों ने वाद्ययंत्रों के माध्यम से विशेष प्रस्तुतियां दी। लोगों ने केसरिया साफा पहनकर एवं हाथों में राष्ट्रीय ध्वज लेकर राष्ट्र सेवा की भावना से ओतप्रोत होकर विकसित भारत के विजन को मजबूत बनाया। शर्मा ने सभी लोगों को आत्मनिर्भर भारत की शपथ भी दिलाई। मुख्यमंत्री ने जब आसमान में गुब्बारे छोड़े तो पूरा वातावरण राष्ट्रभक्ति की भावना से सराबोर हो उठा।

इस अवसर पर युवा मामले एवं खेल मंत्री कर्नल राज्यवर्धन राठौड़, गृह राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढ़म, राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी, सांसद मदन राठौड़, घनश्याम तिवाड़ी, राव राजेन्द्र सिंह, मंजू शर्मा, विधायकगण सहित वरिष्ठ अधिकारी एवं बड़ी संख्या में स्कूली छात्र-छात्राएं, युवा व आमजन उपस्थित रहे।

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