मामला सुप्रीम कोर्ट में है, इसलिए बिहार मतदाता सूची पर चर्चा नहीं, सरकार ने विपक्ष की मांग को ठुकराया

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नई दिल्ली। बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआइआर) पर चर्चा की विपक्ष की मांग को ठुकराते हुए संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि नियमों के अनुसार न्यायपालिका के समक्ष लंबित मामलों पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती।

सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार
रिजिजू ने कहा, ”सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए पूरी तरह तैयार है। लेकिन संसद में कोई भी चर्चा संवैधानिक प्रविधानों के अनुसार और लोकसभा की प्रक्रिया व कार्य संचालन में निर्धारित नियमों के अनुसार होनी चाहिए। बिहार में एसआइआर के मुद्दे पर वे (विपक्षी सदस्य) सत्र के पहले दिन से सदन में व्यवधान डाल रहे हैं। जबकि हम सभी जानते हैं कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और इसलिए इस विषय पर चर्चा नहीं हो सकती।”

सुप्रीम कोर्ट में 10 से अधिक याचिकाएं दायर हैं
गौरतलब है कि एसआइआर के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में 10 से अधिक याचिकाएं दायर हैं, जिनमें विपक्षी दलों और गैरसरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफा‌र्म्स’ की याचिकाएं शामिल हैं। रिजिजू ने यह भी बताया कि चुनाव आयोग जैसी स्वायत्त संस्थाओं के कामकाज पर भी संसद में चर्चा नहीं हो सकती। उन्होंने 1988 में तत्कालीन लोकसभा स्पीकर बलराम जाखड़ द्वारा दिए गए एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि संवैधानिक प्रावधानों के तहत सदन चुनाव आयोग के कार्यों पर टिप्पणी नहीं कर सकता।

मुद्दा चुनाव आयोग के कामकाज से संबंधित है
रिजिजू के अनुसार, जाखड़ ने कहा था कि चुनाव आयोग के कामकाज पर चर्चा की अनुमति देकर वह नियमों का उल्लंघन नहीं कर सकते। संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि यह मुद्दा चुनाव आयोग के कामकाज से संबंधित है, जो एक स्वायत्त निकाय है। चूंकि अतीत में इस सदन में स्पष्ट रूप से स्थापित हो चुका है कि चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आने वाले मामलों पर इस सदन में चर्चा नहीं की जा सकती। लिहाजा इस निर्णय का हमें सम्मान करना होगा। रिजिजू ने सदस्यों से प्रमुख विधेयकों को पारित करने के लिए बहस में भाग लेने का आग्रह किया।

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