चित्तौड़गढ़ में खिला ‘मेवाड़ी स्ट्रॉबेरी’ का जादू -एम पी बिरला ग्रुप के समृद्धि कार्यक्रम से छोटे किसान बने लखपति

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चित्तौड़गढ़। देश के चुनिंदा राज्यों महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में ही सीमित मानी जाने वाली स्ट्रॉबेरी की खेती अब राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में एक नई इबारत लिख रही है। यहां स्थानीय किसानों ने न केवल स्ट्रॉबेरी का सफल उत्पादन शुरू किया है, बल्कि ‘मेवाड़ी स्ट्रॉबेरी’ के नाम से अपनी एक अलग पहचान भी बना ली है। बदलाव की यह कहानी किसी संयोग का परिणाम नहीं, बल्कि एम पी बिरला ग्रुप द्वारा अपने सामाजिक सरोकार के तहत चलाए जा रहे समृद्धि कार्यक्रम का प्रत्यक्ष प्रभाव है, जिसने किसानों को आधुनिक खेती की ओर मोड़ते हुए उनकी आय में चमत्कारिक वृद्धि हासिल करवाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किसानों की आय दोगुनी करने की मंशा को आगे बढ़ाते हुए एम पी बिरला ग्रुप ने वर्ष 2019 में समृद्धि कार्यक्रम की शुरुआत की थी। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छोटे किसानों को नई तकनीक, बेहतर संसाधन और बाज़ार के अनुरूप उन्नत खेती से जोड़ना है। कंपनी के जनरल मैनेजर सीबू प्रसाद जैना और चित्तौड़गढ़ यूनिट के मानव संसाधन प्रमुख प्रदीप सिंह बघेल के निर्देशन में यह योजना लगातार विस्तार लेती रही और आज इसकी छत्रछाया में कुल 995 किसान लाभान्वित हो रहे हैं। स्ट्रॉबेरी को इस कार्यक्रम का हिस्सा बनाने के बाद किसानों की आय में जिस तेजी से वृद्धि हुई, उसने पूरे क्षेत्र में उत्साह का नया माहौल पैदा कर दिया।

-स्ट्रॉबेरी ने 42 किसानों को बनाया लखपति
एम पी बिरला ग्रुप चित्तौड़गढ़ चंदेरिया यूनिट की सीएसआर हेड पुष्पांजलि यादव, शिव यादव बताते है साल 2021 में कुछ छोटे किसानों के साथ स्ट्रॉबेरी की खेती का पहला डेमो शुरू किया गया। किसानों को खेती के लिए ड्रिप मशीन, उन्नत कृषि उपकरण और तकनीकी प्रशिक्षण उपलब्ध करवाया गया। शुरुआती प्रयास इतना सफल रहा कि लागत निकालने के बाद ही किसानों ने 20 से 30 हजार रुपये का शुद्ध लाभ कमा लिया। इस सफलता के बाद 2023 में महाराष्ट्र से 1000 स्ट्रॉबेरी पौध मंगवाकर नगरी और सेमलपुरा ग्राम पंचायत के दस किसानों को इस परियोजना से जोड़ा गया। हैरानी की बात यह रही कि केवल तीन महीनों की खेती में ही प्रत्येक किसान ने एक से डेढ़ लाख रुपये का सीधा मुनाफा कमाया। इसके बाद 2024 में पंद्रह और 2025 में सत्रह नए किसान इस योजना में शामिल हुए। कुछ ही वर्षों में पारंपरिक खेती की तुलना में स्ट्रॉबेरी की खेती से मिलने वाले कई गुना अधिक लाभ ने किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना दिया और आज स्थिति यह है कि समृद्धि कार्यक्रम से जुड़े ऐसे 42 किसान लखपति बन चुके हैं।

-विकास के पथ पर थामा किसानों का हाथ
स्थानीय स्तर पर उगने वाली स्ट्रॉबेरी की लोकप्रियता तेजी से बढ़ने के पीछे एक बड़ा कारण उसकी गुणवत्ता भी है। बाहर से आयातित स्ट्रॉबेरी में पेस्टिसाइड्स की मौजूदगी की आशंका रहती है, वहीं लंबी दूरी के परिवहन के कारण उसकी ताजगी भी कम हो जाती है। इसके विपरीत, समृद्धि कार्यक्रम के तहत एम पी बिरला ग्रुपके जरिए स्थानीय किसानों को हर वर्ष 1000 पौधे निःशुल्क उपलब्ध करवाए जाते हैं। किसानों को खेती के लिए चरणबद्ध प्रशिक्षण देने के अलावा सिंचाई के लिए ड्रिप लाइन बिछाने में तकनीकी सहयोग दिया जाता है, और किसानों को सरकारी योजनाओं से जोड़कर उन्हें अधिकाधिक लाभ दिलाने का प्रयास किया जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि यहां स्ट्रॉबेरी पूरी तरह ऑर्गेनिक तरीके से जीवामृत और कम्पोस्ट खाद के उपयोग से उत्पादित की जा रही है, जिससे मिट्टी की उर्वरकता बनी रहती है और उपभोक्ताओं तक रसायनमुक्त, ताजी और उच्च गुणवत्ता वाली स्ट्रॉबेरी पहुंचती है। यही कारण है कि ‘मेवाड़ी स्ट्रॉबेरी’ की मांग अब स्थानीय बाजारों में तेजी से बढ़ रही है और किसान भी अपने खेतों के बड़े हिस्से को स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए समर्पित कर रहे हैं।

-एम पी बिरला ग्रुप ने बदला किसानों का जीवन
नगरी गांव के किसान राजेंद्र कुमार कीर बताते हैं कि समृद्धि कार्यक्रम ने उनके जीवन में असाधारण बदलाव लाया है। वर्ष 2021 में उन्होंने पहली बार स्ट्रॉबेरी का डेमो उत्पादन लिया था, जिसमें खर्च निकालकर लगभग 20 हजार रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ। उसके बाद की दो फसलों में भी उन्हें प्रत्येक बार करीब एक लाख रुपये तक की आमदनी हुई। इस वर्ष उन्होंने फिर से स्ट्रॉबेरी की खेती की है और उम्मीद जता रहे हैं कि इस बार उन्हें तीन लाख रुपये से अधिक का लाभ मिलेगा। राजेंद्र बताते हैं कि आने वाले दस दिनों में ही उनकी फसल का उत्पादन शुरू हो जाएगा। चित्तौड़गढ़ में स्ट्रॉबेरी उत्पादन की यह सफलता केवल एक कृषि प्रयोग नहीं, बल्कि आधुनिक तकनीक, वैज्ञानिक सोच और सही मार्गदर्शन से छोटे किसानों के जीवन में आ सकने वाले सकारात्मक बदलाव का जीवंत प्रमाण है। ‘मेवाड़ी स्ट्रॉबेरी’ अब न सिर्फ राजस्थान की नई पहचान बन रही है, बल्कि यह साबित कर रही है कि अवसर और संसाधन सही दिशा में लगाए जाएं तो किसान भी आर्थिक समृद्धि की नई ऊँचाइयों को छू सकते हैं।

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