बिहार चुनावों में अगड़ी जातियों को साधने का खेल अब खुलकर शुरू हो चुका है !

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बिहार की राजनीति में एक बार फिर जातीय समीकरणों की गूंज सुनाई देने लगी है। इस बार केंद्र में हैं अगड़ी जातियां। अगड़ी जातियों की जिनकी आबादी हाल ही में जारी जातिगत जनगणना के अनुसार 15.52% है। अब तक राजनीतिक चर्चा में शांत मानी जाने वाली यह आबादी अचानक से चुनावी रणनीतियों की धुरी बन गई है। चुनावों में अगड़ी जातियों को साधने का खेल अब खुलकर शुरू हो चुका है।एनडीए बिहार विधानसभा चुनाव को जीत की मंजिल तक पहुंचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। लंबे समय बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए को सवर्ण वोट बैंक की अहमियत दोबारा समझ में आई है। यही वजह है कि अगड़ी जातियों को साधने के लिए विशेष योजनाओं और घोषणाओं पर काम चल रहा है। संभावना है कि चुनाव से पहले सवर्ण समुदाय के लिए नई घोषणाओं का पिटारा खोल सकती है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने 2025 बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 225 सीटें जीतने का लक्ष्य तय किया है। गठबंधन इस बार अपने मजबूत वोट बैंक में किसी भी प्रकार की सेंधमारी से बचना चाहता है, इसलिए वोटरों को कंसोलिडेट करने के लिए वर्ग विशेष पर केंद्रित रणनीति तैयार की जा रही है।दलित समुदाय की तरह ही अब गरीब सवर्णों के लिए भी कल्याणकारी योजनाएं लाने की तैयारी चल रही है। सूत्रों के मुताबिक, इन योजनाओं पर गंभीर विमर्श जारी है, और संभवतः चुनाव से पहले इन्हें नीतिगत रूप में लागू किया जा सकता है। एनडीए को उम्मीद है कि इससे न सिर्फ अगड़ी जातियों का समर्थन और मजबूत होगा, बल्कि विपक्ष को इस वर्ग में पैठ बनाने का मौका भी नहीं मिलेगा।

-अशोक भाटिया

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