देश को मिला पहला शैलो वाटर क्राफ्ट आईएनएस अर्णाला

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विशाखापट्टनम। भारत को आज एक नई नौसैनिक ताकत मिली है। देश का पहला एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) INS अर्णाला बुधवार को विशाखापट्टनम में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर CDS जनरल अनिल चौहान मुख्य अतिथि रहे। INS अर्णाला को महाराष्ट्र के वसई स्थित ऐतिहासिक अर्णाला किले के नाम पर नामित किया गया है। यह युद्धपोत विशेष रूप से उथले समुद्री इलाकों में दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने, उनका पीछा करने और उन्हें निष्क्रिय करने के लिए तैयार किया गया है। यह हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की ताकत को कई गुना बढ़ाएगा। यह पोत मेसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता और L&T शिपबिल्डर्स के साथ पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के तहत तैयार किया गया है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ के रक्षा क्षेत्र में सफलता का प्रतीक है। INS अर्णाला उन 16 शैलो वाटर क्राफ्ट में पहला है, जिन्हें नौसेना के लिए तैयार किया जा रहा है। इससे पहले 15 जनवरी 2025 को INS सूरत, INS नीलगिरि और INS वाघशीर को भी राष्ट्र को समर्पित किया गया था।

भारतीय नौसेना कितनी मजबूत

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय नौ सेना के पास कुल 20 पनडुब्बियां हैं। इनमें 2 परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां, एक परमाणु-संचालित अटैकर पनडुब्बी, 17 ट्रेडिशनल डीजल-इलेक्ट्रिक अटैकर पनडुब्बियां हैं। 13 विध्वंसक (Destroyers) जहाज हैं। इनके अलावा 15 फ्रिगेट्स, 18 कॉर्वेट्स, एक उभयचर परिवहन डॉक (INS जलाश्व), 4 टैंक लैंडिंग जहाज, 8 लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी, एक माइन काउंटरमेजर जहाज और 30 गश्ती जहाज हैं। भारतीय नौसेना का लक्ष्य 2035 तक 175 जहाजों की नौसेना बनाना है, जिसमें 50 जहाज वर्तमान में निर्माणाधीन हैं। 2025 तक, भारतीय नौसेना के पास लगभग 135+ युद्धपोत सक्रिय सेवा में हैं। इनमें विभिन्न प्रकार के जहाज शामिल हैं। वहीं, INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत समेत 2 मॉडर्न विमानवाहक पोत हैं।

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