‘सहकार सदस्यता अभियान’ से राज्य में मजबूत हो रहा सहकारिता का नेटवर्क – नवीन पैक्स का तेजी से हो रहा गठन, सदस्य संख्या में हो रही वृद्धि – अधिक लोगों तक सुचारू रूप से पहुंचेगा जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ – पैक्स को बहुउद्देशीय बनाने से व्यापक हो रहा सहकारिता का दायरा

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जयपुर। राज्य में सहकारिता के नेटवर्क को और अधिक व्यापक बनाने में ‘सहकार सदस्यता अभियान’ महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो रहा है। अभियान के अंतर्गत एक ओर जहां ग्राम पंचायतों में बड़ी संख्या में तीव्र गति से नवीन पैक्स का गठन किया जा रहा ह,ै वहीं दूसरी ओर सहकारी समितियों की सदस्य संख्या में भी तेजी से वृद्धि हो रही है। राज्य में जमीनी स्तर पर पर सहकारिता का नेटवर्क मजबूत होने से अधिक लोगों तक सुचारू रूप से जनकल्याणकारी योजनाओं की पहुंच सुनिश्चित होगी। केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में जारी की गई नवीन ‘राष्ट्रीय सहकारिता नीति’ एवं ‘सहकार से समृद्धि’ परिकल्पना के अंतर्गत देश में सहकारिता का दायरा अधिक विस्तृत किये जाने पर विशेष रूप से जोर दिया गया है। राजस्थान इस मामले में देश में अग्रणी भूमिका में है। वर्तमान में राज्य में लगभग 8,700 पैक्स का विशाल नेटवर्क मौजूद है। साथ ही, राज्य की पैक्सविहीन समस्त ग्राम पंचायतों में पैक्स गठन की कार्यवाही तेज गति से जारी है। ‘सहकार सदस्यता अभियान’ के अंतर्गत अब तक पैक्सविहीन 1,520 ग्राम पंचायतों में सर्वे की कार्यवाही पूर्ण की जा चुकी है। इस दौरान 1,067 पैक्स हेतु जिला स्तरीय कमेटी की बैठक आयोजित की जा चुकी है जबकि पैक्स गठन हेतु 1060 प्रस्ताव विभाग को प्राप्त हो चुके हैं। राज्य सरकार द्वारा बजट घोषणा वर्ष 2025-26 के अंतर्गत पैक्सविहीन समस्त ग्राम पंचायतों में आगामी दो वर्ष में पैक्स गठन का प्रावधान किया गया था। लेकिन ‘सहकार सदस्यता अभियान’ के अंतर्गत पूरी क्षमता से प्रयास कर इस लक्ष्य को निर्धारित समय सीमा से पूर्व ही प्राप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं। पूर्व में पैक्स की भूमिका केवल किसानों को ऋण एवं खाद-बीज वितरण तक ही सीमित रहती थी लेकिन अब इन्हें बहुउद्देशीय बनाकर विभिन्न व्यावसायिक गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है, जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त बन रही हैं। सहकारी समितियों के सदस्य अब तक आम तौर पर किसान ही होते थे। लेकिन अब बहुउद्देशीय परिकल्पना के अंतर्गत इन्हें अलग-अलग वर्गों के लिए उपयोगी बनाया जा रहा है। ‘सहकार सदस्यता अभियान’ के अंतर्गत अधिक से अधिक संख्या में युवाओं एवं महिलाओं को सहकारी समितियों से जोड़ने पर फोकस किया जा रहा है। अब तक लगभग 5 लाख नये सदस्य बनाये जा चुके हैं। सहकारी समितियों में युवाओं और महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से उन्हें स्थानीय स्तर पर ही रोजगार के अवसर मिलेंगे तथा विभिन्न योजनाओं का लाभ प्राप्त हो सकेगा, जिससे उनका सशक्तीकरण होगा।

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