तेजस्वी यादव ऐसे पिता के बेटे, जो गिरगिट की तरह अपना रंग बदलते रहे हैं : विजय कुमार सिन्हा

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पटना। बिहार के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को स्वार्थी बताया है। विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि तेजस्वी यादव ऐसे पिता के बेटे हैं, जो गिरगिट की तरह अपना रंग बदलते रहे हैं।विजय कुमार सिन्हा ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “तेजस्वी यादव ऐसे पिता के बेटे हैं, जो अवसर और स्वार्थ के आधार पर गिरगिट की तरह अपना रंग बदलते रहे। ये वही लालू यादव हैं जिन्होंने कभी कहा था कि मेरी लाश पर बिहार का बंटवारा होगा, लेकिन जब समय आया तो सत्ता के लिए ये राज्य के बंटवारे के समर्थन में खड़े हो गए। जब अटल बिहारी वाजपेयी ने इसका प्रस्ताव रखा तो इन्होंने डर के मारे समझौता कर लिया इसलिए ये नेता गिरगिट की तरह अपना रंग बदलते हैं। जनता अब इनकी बातों पर भरोसा नहीं करती।”

डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने भारतीय जनता पार्टी के स्थापना दिवस का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “आज भारतीय जनता पार्टी का स्थापना दिवस है। आज पार्टी में तीसरी और चौथी पीढ़ी खड़ी है, जिन्होंने कष्ट और विपरीत परिस्थितियों को झेला है। उन्होंने भारत माता को सर्वोच्च सिंहासन पर बिठाने के सपने को पूरा करने के लिए बलिदान दिया। आज भाजपा का हर कार्यकर्ता सत्ता के लिए नहीं, बल्कि सुशासन के लिए समर्पित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के नेतृत्व में पार्टी हर नागरिक के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, क्षेत्र या भाषा का हो। अब बिहारी अपमान का शब्द नहीं रहेगा।”बता दें कि बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर उनकी सरकार बनी, तो वह इस विधेयक को कूड़ेदान में डाल देंगे।

बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा था, “बेचारे की सरकार कहां से आएगी? लालू प्रसाद यादव ने उस लायक उन्हें छोड़ा ही नहीं है। तेजस्वी को पहले यह समझना चाहिए कि उनकी पार्टी के नेता लालू यादव ने बिहार में किस तरह के भ्रष्टाचार किए हैं। उन्हें मुंह छुपाना पड़ रहा है कि उनके पिताजी ने बिहार में भ्रष्टाचार किया।”उन्होंने कहा कि पहले तो वह यह स्पष्ट करें कि उनके पिताजी ने बिहार में बेजुबान जानवरों का चारा खा लिया और अब जब वह नेता बने हैं तो खुद को लोकतंत्र का रक्षक क्यों बना रहे हैं? तेजस्वी को इस बारे में जनता को स्पष्टीकरण देना चाहिए कि लोकतंत्र का मंदिर संसद और सदन है और जो विधेयक पारित होता है, वह जनता के विश्वास से होता है।

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