डोडोमा। तंजानिया की राष्ट्रपति समिया सु्लुहू हसन ने देश के विवादित चुनाव के शनिवार तड़के घोषित आधिकारिक नतीजों में जबरदस्त जीत हासिल की है। हालांकि विपक्षी दलों ने आराेप लगाया है कि यह चुनाव कोई मुकाबला नहीं, बल्कि राष्ट्रपति हसन का ताजपोशी समारोह था। खबराें के अनुसार चुनाव में उन्हें 97% से ज्यादा वोट हासिल हुए जाे एक तरह का रिकार्ड है। हालांकि हसन के दो मुख्य प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों को चुनावाें में भाग लेने से रोक दिया गया और उन्हें केवल छोटे दलों के 16 उम्मीदवारों का सामना करना पड़ा। इस बीच 29 अक्टूबर को हुए ये चुनाव भारी हिंसा के बीच सम्पन्न हुए हैं जिसमें कई लाेगाें के मारे जाने की खबर है। कई शहरों में चुनावाें काे एकतरफा बताते हुए प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए और वोट गिनती रोकने की कोशिश की। सेना को पुलिस की मदद के लिए तैनात किया गया है । इस बीच अधिकारियों ने हिंसा में मारे गए या घायल लोगों की संख्या नहीं बताई। हालांकि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के प्रवक्ता सेइफ मगंगो ने शुक्रवार को जिनेवा में वीडियो के जरिए व्यापारिक राजधानी दार अस सलाम, शिन्यांगा और मोरोगोरो शहरों में 10 लाेंगाे के मारे जाने की पुष्टि की हैं। खबराें के मुताबिक देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी ‘चाडेमा’ के नेता तुंडू लिस्सू महीनों से जेल में बंद हैैं। उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया है क्योंकि उन्होंने चुनाव सुधारों की मांग की थी। वहीं एक अन्य विपक्षी नेता, एक्ट-वजालेंदो समूह के लुहागा म्पिना को उम्मीदवार बनने से रोक दिया गया। तंजानिया में सत्ताधारी ‘चामा चा मापिंदुजी’ या ‘सीसीएम पार्टी’ दशकों से सत्ता पर काबिज है, जबकि विपक्षी नेता इस बार राजनीतिक बदलाव लाने की उम्मीद कर रहे थे। हसन ने अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें जेल भेज दिया है या फिर चुनावाें में भाग ही नहीं लेेने दिया है। देश में एक्स (पूर्व ट्विटर) और तंजानियाई डिजिटल प्लेटफॉर्म ‘जामीयफोरम्स’ पर पाबंदी है। उनके खिलाफ आवाज उठाने वालाें काे धमकी या गिरफ्तारी से चुप करा दिया गया। सत्ताधारी सीसीएम पार्टी के तार चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े हैं जाे 1961 में देश की ब्रिटेन से आजादी के बाद से ही सत्ता पर काबिज हैै।

तंजानिया की राष्ट्रपति हसन विवादित चुनाव में भारी मताें से जीतीं
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