देश में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर मुस्लिम समुदाय में नाराजगी का माहौल हैं। विवादास्पद वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर मुस्लिम संगठनों ने गुरुवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की इफ्तार पार्टी का बहिष्कार किया। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के आह्वान पर मुस्लिम नेताओं ने यहां कन्वेंशन सेंटर में ‘इफ्तार और रात्रिभोज’ से दूरी बनाए रखी। इसके अलावा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन शुरू किया, जिसमें धरना-प्रदर्शन शामिल हैं। अब जाता विरोध तमिलनाडु में हुआ। तमिलनाडु विधानसभा ने गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार से लोकसभा में पेश किए गए वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को वापस लेने के लिए कहा गया।
सरकारी प्रस्ताव पेश करते हुए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा, “इस देश पर शासन करने वाली किसी भी सरकार को नस्ल, भाषा, धर्म, पूजा स्थल और संस्कृतियों की विविधता के बीच व्याप्त सांप्रदायिक सद्भाव को ध्यान में रखना चाहिए। यह उसका मार्गदर्शक सिद्धांत होना चाहिए”। उन्होंने केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर हमेशा अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ कुटिल और षड्यंत्रकारी होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) ने मुस्लिम अल्पसंख्यकों और लंकाई तमिलों को धोखा दिया है। इसने गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपी है। यह वित्त का हस्तांतरण न करके गैर-भाजपा राज्यों का गला घोंट रहा है। उनके कृत्य हमेशा अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, पिछड़े वर्गों और सबसे पिछड़े वर्गों के लिए हानिकारक होते हैं।” स्टालिन ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा, “हर कोई जानता है कि नीट और एनईपी समाज के निचले तबके के लोगों पर किस तरह से असर डालेंगे।