सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ज्यादा वोटर्स के नाम कटे तो हस्तक्षेप करेंगे; 12 अगस्त से सुनवाई

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नई दिल्ली। बिहार में हो रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर आज फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा- अगर बड़े पैमाने पर वोटर्स के नाम कटे हैं तो हम हस्तक्षेप करेंगे। सुप्रीम कोर्ट 12 अगस्त से बिहार SIR मामले की सुनवाई शुरू करेगा। SIR को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि 65 लाख मतदाताओं के नाम काटे जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि इनमें से कुछ अपना घर छोड़कर कहीं और चले गए हैं, कुछ मर गए हैं। जस्टिस बागची ने कहा- ‘हम इस पूरे मामले को देख रहे हैं। अगर बड़े पैमाने पर मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से काटा जा रहा है, तो हम तुरंत हस्तक्षेप करेंगे। आप ऐसे 15 लोगों को लेकर आइए जो कहें कि वे जीवित हैं और उनको मरा दिखाकर नाम काट दिया गया है।’ सोमवार को कोर्ट ने ने SIR पर रोक से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने ADR से कहा था- ‘अगर खामी मिली तो पूरी प्रक्रिया रद्द कर देंगे।’ इसके साथ ही चुनाव आयोग से पूछा है- आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को मतदाता पहचान के लिए स्वीकार क्यों नहीं किया जा रहा है। चुनाव आयोग ने कहा कि ‘राशन कार्ड पर विचार नहीं किया जा सकता। यह बहुत बड़े पैमाने पर बना है, फर्जी होने की संभावना अधिक है।’ SC ने कहा- अगर बात फर्जीवाड़े की है तो धरती पर कोई ऐसा डॉक्यूमेंट नहीं है, जिसकी नकल नहीं हो सके। ऐसे में 11 दस्तावेजों के आपके सूचीबद्ध करने का क्या आधार है?

65 लाख नाम लिस्ट से हटे
चुनाव आयोग ने 27 जुलाई को SIR के पहले चरण के आंकड़े जारी कर दिए हैं। इसके मुताबिक बिहार में अब 7.24 करोड़ वोटर हैं। पहले यह आंकड़ा 7.89 करोड़ था। वोटर लिस्ट रिवीजन के बाद 65 लाख नाम सूची से हटा दिए गए हैं। हटाए गए नामों में वे लोग शामिल हैं, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं या फिर कहीं और स्थायी रूप से रह रहे हैं या जिनका नाम दो वोटर लिस्ट में दर्ज था। इनमें से 22 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। 36 लाख मतदाता स्थानांतरित पाए गए, जबकि 7 लाख लोग अब किसी और क्षेत्र के स्थायी निवासी बन चुके हैं।

24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में हुई थी सुनवाई
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई को हुई सुनवाई में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट का रिवीजन जारी रखने की अनुमति दी थी। अदालत ने इसे संवैधानिक जिम्मेदारी बताया था। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) यानी वोटर लिस्ट रिवीजन की टाइमिंग पर सवाल उठाए थे। अदालत ने चुनाव आयोग से कहा कि बिहार में SIR के दौरान आधार, वोटर आईडी, राशन कार्ड को भी पहचान पत्र माना जाए। बेंच के मुताबिक, 10 विपक्षी दलों के नेताओं समेत किसी भी याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया पर अंतरिम रोक की मांग नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाओं पर चुनाव आयोग से 21 जुलाई तक जवाब मांगा। अगली सुनवाई 28 जुलाई के लिए तय की थी।

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