सुप्रीम कोर्ट ने विवादों में घिरी नीट-यूजी परीक्षा से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवायी शुरू की

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नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने विवादों से घिरी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 से संबंधित 30 से अधिक याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई शुरू की। इनमें पांच मई को हुई परीक्षा में अनियमितताओं और कदाचार का आरोप लगाने वाली और परीक्षा नये सिरे से आयोजित करने का निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिकाएं भी शामिल हैं। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ गुजरात के 50 से अधिक सफल राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा-स्नातक (नीट-यूजी) अभ्यर्थियों की एक अलग याचिका पर भी सुनवाई कर रही है, जिसमें केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) को विवादित परीक्षा रद्द करने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने दलीलें शुरू करते हुए कहा कि वे पेपर लीक, ओएमआर शीट में हेरफेर, अभ्यर्थी की जगह किसी अन्य के परीक्षा देने और धोखाधड़ी जैसे आधारों पर परीक्षा रद्द करने का अनुरोध कर रहे हैं। केंद्र और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने हाल में न्यायालय में कहा था कि गोपनीयता भंग होने के किसी साक्ष्य के बिना इस परीक्षा को रद्द करने का बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इससे लाखों ईमानदार अभ्यर्थियों पर ‘‘गंभीर असर’’ पड़ सकता है। एनटीए और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय पांच मई को आयोजित परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक से लेकर अभ्यर्थी की जगह किसी अन्य के परीक्षा देने तक बड़े पैमाने पर कथित अनियमितताओं को लेकर मीडिया में बहस और छात्रों और राजनीतिक दलों के विरोध के केंद्र में रहे हैं।

देश भर के सरकारी और निजी संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, आयुष और अन्य संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एनटीए द्वारा नीट-यूजी आयोजित की जाती है। पेपर लीक सहित अनियमितताओं के आरोपों के कारण कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए और प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों के बीच तकरार हुई। केंद्र और एनटीए ने 13 जून को अदालत को बताया था कि उन्होंने 1,563 अभ्यर्थियों को दिए गए कृपांक रद्द कर दिए हैं। उन्हें या तो दोबारा परीक्षा देने या समय की हानि के लिए दिए गए प्रतिपूरक अंकों को छोड़ने का विकल्प दिया गया था।

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