पिड़ावा : जब मुनिवर आते हैं वैराग्य जगाते हैं के साथ हुआ नुक्कड़ नाटिका का मंचन

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पिड़ावा। दसलक्षण महापर्व के पावन प्रसंग पर श्री पंच बाल यति स्वाध्याय भवन में वीतराग विज्ञान पाठशाला के बच्चों द्वारा “अट्रैक्शन का इन्फेक्शन” विषय पर सुंदर नुक्कड़ नाटिका मंचित की गई। जिसमें छोटे-छोटे बालक बालिकाओं द्वारा वर्तमान में भौतिक चकाचोंध से होने वाले नुकसान देखा देखी भौतिक वस्तुओं के आकर्षण से होने वाले मानसिक व शारीरिक नुकसान के प्रति सजग औऱ सचेत किया गया। नुक्कड़ नाटिका की मंगल शुरुआत पाठशाला के छोटे-छोटे बालक बालिकाओं द्वारा मंगलाचरण जब मुनिवर आते हैं वैराग्य जगाते हैं द्वारा की गई। नुक्कड़ नाटिका द्वारा जो प्राप्त है वह पर्याप्त है का संदेश दिया गया जिसकी उपस्थित जन समूह द्वारा मुक्त कंठ से प्रशंसा की गई। नुक्कड़ नाटिका का निर्देशन रेखा अनिल उपहार व संचालन चिन्मय शास्त्री द्वारा किया गया। मनीष शास्त्री ने बताया कि सिवनी से पधारे पंडित ज्ञाताजी सिंघई द्वारा प्रतिदिन प्रात:काल में कलिकाल सर्वज्ञ कुंदकुंद आचार्य रचित अष्ट पाहुड ग्रंथ के माध्यम से मुनिराजो की महिमा एवं उनका यथार्थ स्वरूप समझाया जा रहा है। वहीं दोपहर में पंडित दौलत रामजी की कालजयी कृति छहढाला के ऊपर सामूहिक कक्षा ली जा रही है। वहीं सायं काल में मंगत राय जी की पद्य रचना के द्वारा दस लक्षण धर्म का यथार्थ स्वरूप समझाया जा रहा है। सायं काल में आदिनाथ चैत्यालय में विवेक शास्त्री द्वारा बच्चों की सामूहिक संगीतमय बाल कक्षा, भक्ति करवाई जा रही है। वही स्वाध्याय भवन में प्रतिदिन सायंकाल आशीष शास्त्री द्वारा बाल कक्षा ली जा रही है। सायंकाल में प्रवचन के पश्चात प्रतिदिन ज्ञानवर्धक प्रश्न मंच विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे हैं।

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