जयपुर। पर्यावरण राज्य मंत्री संजय शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार पर्यावरण संरक्षण और प्रदुषण नियंत्रण के लिए संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि विधानसभा क्षेत्र आसीन्द में वायू प्रदूषण की जांच के लिए तीन सदस्य समिति का गठन किया जाएगा, जो एक माह में अपनी रिपोर्ट देगी। उन्होंने आश्वस्त किया कि रिपोर्ट के आधार पर आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
पर्यावरण राज्य मंत्री गुरुवार को प्रश्नकाल में इस संबंध में सदस्य द्वारा पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि जांच के लिए गठित समिति में मुख्य पर्यावरण अभियंता, अतिरिक्त जिला कलेक्टर तथा क्षेत्रीय अधिकारी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल (अन्यत्र पदस्थापित) शामिल होंगे।
इससे पहले विधायक जब्बर सिंह सांखला के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में उन्होंने बताया कि विधानसभा क्षेत्र आसीन्द की ग्राम पंचायत रुपाहेली कलां में संचालित औद्योगिक इकाई में अपशिष्ट टायरों को जलाया नहीं जाता है, अपितु वैज्ञानिक तरीके से बंद रिएक्टर में इन्हें वायु की अनुपस्थिति में गर्म किया जा कर पायरोलायसिस प्रक्रिया से पायरोलायसिस ऑइल (ईंधन तेल) का निर्माण किया जाता है। उन्होंने बताया कि यह उद्योग राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल से वैध संचालन सम्मति प्राप्त कर ही कार्यरत है।
पर्यावरण राज्य मंत्री ने बताया कि इस उद्योग द्वारा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 16 जनवरी 2024 को जारी नवीनतम मानक संचालन प्रक्रिया में उल्लेखित एवं संचालन सम्मति की शर्तों के अनुसार वायु तथा जल प्रदूषण की रोकथाम हेतु आवश्यक प्रदूषण नियंत्रण उपकरण एवं व्यवस्था स्थापित कर संचालित है।
शर्मा ने बताया कि राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मण्डल में उपलब्ध सूचना के अनुसार महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात राज्यों में इस तरह के टायर पायरोलायसिस उद्योगों पर पूर्ण प्रतिबन्ध नहीं है। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियत्रंण मण्डल द्वारा टायर पायरोलायसिस उद्योगों के संबंध में 17 अगस्त 2023 को कार्यालय आदेश को जारी किया गया। जिसके अनुसार राज्य में नये टायर पायरोलायसिस उद्योग जो केवल सतत प्रक्रिया पर आधारित होंगे, उन्हें ही जल एवं वायु अधिनियमों के अर्न्तगत स्थापना एवं संचालन सम्मति प्रदान की जायेगी। उन्होंने बताया कि बैच प्रक्रिया पर आधारित नये टायर पायरोलायसिस उद्योगों की स्थापना पर प्रतिबन्ध जारी रहेगा।