कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शुक्रवार को अपना 16वां बजट पेश किया, जबकि विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अल्पसंख्यकों के लिए इस प्रोत्साहन को तुष्टीकरण बताया। बजट में कुल व्यय 4,09,549 करोड़ रुपये रखा गया है, जिसमें राजस्व व्यय के लिए 3,11,739 करोड़ रुपये, पूंजीगत व्यय के लिए 71,336 करोड़ रुपये और ऋण चुकौती के लिए 26,474 करोड़ रुपये शामिल हैं। राजकोषीय घाटा ₹90,428 करोड़ (जीएसडीपी का 2.95%) अनुमानित है, जबकि राजस्व घाटा ₹19,262 करोड़ (जीएसडीपी का 0.63%) आंका गया है।
बजट में कहा गया है कि हज यात्रियों और उनके रिश्तेदारों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए बेंगलुरू स्थित हज भवन में एक अतिरिक्त भवन का निर्माण किया जाएगा। वर्ष 2024-25 में अल्पसंख्यक महिलाओं की उच्च शिक्षा को सहायता प्रदान करने के लिए वक्फ संस्थाओं के खाली भूखंडों पर 15 महिला महाविद्यालयों के निर्माण की कार्यवाही की गई है। इसके अलावा, वर्ष 2025-26 के दौरान 16 नए महिला महाविद्यालय शुरू किए जाएंगे। राज्य के गुरुद्वारों में आवश्यक बुनियादी ढांचा सृजित करने के लिए 2 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई है।
बेंगलुरु में बौद्ध अध्ययन अकादमी की स्थापना की जाएगी। बेंगलुरु के महाबोधि अध्ययन केंद्र में 100 साल पुरानी लाइब्रेरी को 1 करोड़ रुपये की लागत से डिजिटल और अपग्रेड किया जाएगा। जैन, बौद्ध और सिख समुदायों के समग्र विकास के लिए 100 करोड़ रुपये का अनुदान निर्धारित किया गया है। ईसाई समुदाय के विकास के लिए 250 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए जाएंगे। जैन पुजारियों, सिखों के मुख्य ग्रंथी और मस्जिदों के पेश इमामों को दिया जाने वाला मानदेय बढ़ाकर 6,000 रुपये प्रति माह किया जाएगा। सहायक ग्रंथी और मुअज्जिन को दिया जाने वाला मानदेय बढ़ाकर 5,000 रुपये प्रति माह किया जाएगा।
मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक कॉलोनी विकास कार्यक्रम की घोषणा 1,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ की गई। मुस्लिम कब्रिस्तानों और वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए 150 करोड़ रुपये (पिछले साल 100 करोड़ रुपये दिए गए थे)। अल्पसंख्यक समुदाय के सामूहिक विवाह कराने वाले गैर सरकारी संगठनों को 50,000 रुपये दिए जाएंगे। अल्पसंख्यक निदेशालय द्वारा संचालित स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ने वाली लड़कियों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण दिया जाएगा।



