देश भर में शारदीय नवरात्रि का पर्व बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस साल नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक चलेगा, जिसमें मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का चौथा दिन खासतौर पर मां कूष्माण्डा को समर्पित होता है। इस दिन देवी के भक्त विशेष रूप से उनकी पूजा-अर्चना करके अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों और दुखों से मुक्ति पाने का प्रयास करते हैं। पूजा के दौरान मालपुआ और कुम्हड़े का भोग अर्पित करना विशेष फलदायक होता है। पूजा विधि सरल है, जिसमें सबसे पहले स्वच्छ स्नान करके घर में मां कूष्माण्डा की प्रतिमा या फोटो स्थापित की जाती है। फिर घी का दीपक जलाकर, कुमकुम-रोली चढ़ाकर और नैवेद्य अर्पित कर विधिवत पूजा की जाती है। अंत में दीपक की आरती करके भोग सभी भक्तों में बांटा जाता है। इस पूजा से न केवल मनोकामनाएं पूरी होती हैं, बल्कि मानसिक और शारीरिक कष्टों से भी राहत मिलती है। नवरात्रि के इस पावन अवसर पर मां कूष्माण्डा की भक्ति से जीवन में सकारात्मकता, शक्ति और शांति का आगमन होता है। मां के जयकारों से घर-आंगन गूंज उठते हैं और हर दिल में नवजीवन की भावना जगती है। इस दिन की पूजा-आराधना से मनुष्य की आंतरिक शक्ति जागृत होती है, जो हर संकट से लड़ने में सक्षम बनाती है। शारदीय नवरात्रि का यह पर्व हमारी संस्कृति की एक अनमोल धरोहर है, जो हमें आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ-साथ अपने जीवन को सुंदर, सफल और संतुलित बनाने का मार्ग दिखाता है। मां कूष्माण्डा को शक्ति और ऊर्जा की देवी माना जाता है। उनकी आठ भुजाएं और शेर पर सवार स्वरूप उनके अद्भुत सौंदर्य और शक्ति का प्रतीक है। यह देवी अपनी हंसी से पूरे ब्रह्मांड की सृष्टि करने वाली मानी जाती हैं। मां कूष्माण्डा का रंग नारंगी होता है, जो ऊर्जा, उत्साह और आशावाद का संकेत है। इसी कारण भक्त उनकी पूजा करते समय नारंगी या पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ मानते हैं।

शारदीय नवरात्रि 2025: चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा से मिलती है कष्टों से राहत और सुख-समृद्धि
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