राजस्थान संस्कृत अकादमी में लिपि प्रशिक्षण का शुभारंभ

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जयपुर। गणगौरी बाजार स्थित राजस्थान संस्कृत अकादमी वैदिक हेरिटेज एवं पांडुलिपि शोध संस्थान के तत्वावधान में 21 दिवसीय लिपी प्रशिक्षण कार्यशाला एवं पांडुलिपि प्रदर्शनी उद्घाटन हुआ। उद्घाटन वियना आस्ट्रिया यूरोप से आए विश्वगुरु महामंडलेश्वर परमहंस स्वामी महेश्वरानंद पुरी महाराज के किया। इसके साथ ही जयपुर में हुए अश्वमेध यज्ञ की हस्तलिखित पांडुलिपि का विमोचन महाराज श्री,महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानेश्वर पुरी महाराज, राजस्थान संस्कृत अकादमी निदेषक डाॅ.लता श्रीमाली, बाल साहित्य अकादमी के सचिव डाॅ. रजनीश हर्ष व वैदिक हेरिटेज एवं पांडुलिपि शोध संस्थान के समन्वयक डाॅ.सुरेंद्र कुमार शर्मा व केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय दिल्ली के पूर्व निदेशक प्रो. विजय पाल शास्त्री ने किया। इस मौके पर विश्व गुरु जी ने कहा कि यूरोप के 70 देश में भारतीय ज्ञान को प्रचारित किया जाएगा। जिससे भारत पुनः विश्वगुरु बनेगा कार्यक्रम में पांडुलिपि प्रदर्शनी के तहत ज्योतिष, आयुर्वेद, रामचरितमानस, मोडी लिपि, देवनागरी व गुरुमुखी लिपि में लिखी गीता, दर्शन, वेद, तंत्र आदि महत्वपूर्ण विषयों की हस्तलिखित पांडुलिपियों को रखा गया।
समन्वयक डॉक्टर सुरेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि 26 मार्च तक 21 दिवसीय लिपि प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा,जिससे प्राचीन लिपियों का प्रशिक्षण अलग-अलग लिपि विशेषज्ञों द्वारा दिया जाएगा। इसके लिए आज अलग-अलग विद्यालयों महाविद्यालय के लगभग 40 बच्चों ने अपना नामांकन भी करवाया। अकादमी की निदेशक डॉक्टर लता श्रीमाली ने कहा कि आज की पीढ़ी जो संस्कारों एवं संस्कृति से दूर होती जा रही है उनके लिए यह लिपी प्रशिक्षण अत्यंत आवश्यक है। इसके माध्यम से आज की पीढ़ी भारत के प्राचीन ज्ञान से परिचित होगी। आज के कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रोफेसर विजय पाल शास्त्री ने लिपि प्रशिक्षण को एक औषधि के समान बताया। उन्होंने कहा कि ऐसी कार्यक्षालाओं का आयोजन निरंतर होता रहना चाहिए। कार्यक्रम में अवतारपुरी, अवधेश वशिष्ठ,प्रीति साहू,पंकज जैमिनी, मनमोहन सेवार्थी,, आशीष शर्मा, दुर्गेश शर्मा तथा विभिन्न विद्यालय, महाविद्यालय के बच्चे व शिक्षक तथा अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। संचालन जयप्रकाश शर्मा ने किया।

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