जयपुर/गांधीनगर। गुजरात के नर्मदा जिले में स्थित सरदार सरोवर डैम आज देश की सबसे महत्वाकांक्षी बहुउद्देशीय परियोजनाओं में शुमार है। नर्मदा नदी पर निर्मित यह डैम सिंचाई, पेयजल और जलविद्युत उत्पादन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है।
ऊर्जा का बंटवारा
सरदार सरोवर डैम से उत्पादित बिजली का बंटवारा स्पष्ट अनुपात में तय किया गया है। इसमें मध्यप्रदेश को 57 प्रतिशत, महाराष्ट्र को 27 प्रतिशत और गुजरात को 16 प्रतिशत विद्युत आपूर्ति दी जाती है। इस बांटवारे से तीनों राज्यों की ऊर्जा जरूरतों की बड़ी हिस्सेदारी पूरी हो रही है।
कार्यप्रणाली
परियोजना की जलविद्युत प्रणाली मुख्य रूप से चार पावर हाउस पर आधारित है। इनमें रिवर बेड पावर हाउस और कैनाल हेड पावर हाउस प्रमुख हैं। रिवर बेड पावर हाउस में टर्बाइनों के जरिए गिरते हुए पानी की शक्ति को विद्युत में बदला जाता है, जबकि कैनाल हेड पावर हाउस नहरों के प्रवाह से ऊर्जा पैदा करता है। डैम की ऊंचाई 163 मीटर से अधिक है और इसमें 9.5 अरब घन मीटर पानी संग्रहण की क्षमता है। इसकी कुल स्थापित क्षमता 1450 मेगावॉट से अधिक है।
राजस्थान और गुजरात का संबंध
यह परियोजना राजस्थान और गुजरात के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है। राजस्थान को डैम से नहरों के माध्यम से पेयजल और सिंचाई का पानी मिल रहा है। खासकर बाड़मेर, जालोर, सिरोही और जोधपुर जैसे रेगिस्तानी जिलों में यह पानी जीवनरेखा साबित हुआ है। वहीं गुजरात के किसानों और उद्योगों को लगातार जल व बिजली आपूर्ति से बड़ी राहत मिली है।
उपलब्धियां
परियोजना के जरिए अब तक लाखों हेक्टेयर भूमि सिंचित हो चुकी है। राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्रों में जहां पानी की भारी कमी रहती थी, वहां हरियाली और फसलों की पैदावार का दायरा बढ़ा है। गुजरात में उद्योगों और गांवों को नियमित बिजली व पानी की आपूर्ति सुनिश्चित हुई है। साथ ही, सरदार सरोवर डैम और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के चलते यह इलाका पर्यटन का बड़ा केंद्र भी बन गया है।
भविष्य की योजनाएं
सरदार सरोवर परियोजना को और उन्नत बनाने की दिशा में सरकारें काम कर रही हैं। योजना है कि जलविद्युत उत्पादन को सौर और पवन ऊर्जा से जोड़कर एक हाइब्रिड मॉडल विकसित किया जाए। इससे राजस्थान और गुजरात को अधिक सस्ती और स्थायी ऊर्जा उपलब्ध होगी। साथ ही, नहर आधारित माइक्रो-हाइड्रो प्रोजेक्ट्स और स्मार्ट सिंचाई प्रणाली किसानों के लिए अतिरिक्त लाभ लेकर आएगी।