सरस राज सखी राष्ट्रीय मेला जवाहर कला केन्द्र में 30 दिसम्बर तक

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जयपुर। सरस मेलों के माध्यम से ग्रामीण स्वयं सहायता समूह की महिलायें न केवल आजीविका के अवसर पैदा कर रहीं है अपितु देश में महिला सशक्तिकरण का एक बेहतरीन उदाहरण भी प्रस्तुत कर रही है। आजीविका की यात्रा में यह निश्चित रूप से एक मील का पत्थर है।

प्रदेश की राजधानी जयपुर एक बार फिर सरस आजीविका मेला—2024 से गुलजार हो रहा है। इस मेले में देश के विभिन्न राज्यों से जुडी रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुए उपलब्ध है। इस मेले का आयोजन जयपुर के जवाहर कला केन्द्र एवं इन्दिरा गांधी पंचायती राज संस्थान में 30 दिसम्बर तक किया जा रहा है। यहा 300 से अधिक स्टॉल लगी है, जहां कपड़े, फुटवियर, ज्वैलरी से लेकर खाने—पीने तक का सामान उपलब्ध है।

सोमवार को सरस राज-सखी राष्ट्रीय मेला— 2024 का अवलोकन पैरा ओलम्पिक गोल्ड मेडलिस्ट सु अवनी लेखरा और राजीविका ब्रांड- एम्बेसडर मती रूमा देवी ने किया एवं स्वयं सहायता समूह की स्टॉलधारक महिलाओं से संवाद कर उनका उत्साहवर्धन किया।

सरस मेले में आम जन का काफी उत्साह नजर आ रहा है। मेले में लोग हैण्ड मेड वस्तुएं, सजावटी सामान, शुद्ध मसाले एवं अन्य खाने—पीने की
वस्तुओं में काफी रूचि दिखा रहे हैं।

सरस मेला ग्रामीण विकास विभाग के तत्वाधान से राजीविका द्वारा लगाया गया है। इस मेले का उद्देश्य देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करना तथा ग्रामीण शिल्पकारो, कारीगरों और बुनकरों के उत्पादों को एक ही मंच पर लाकर उन्हें समृद्धि की ओर अग्रसित करने का अवसर प्रदान करना है।

यह मेला ग्रामीण भारत की महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिये एक अहम कदम है, जो केन्द्र सरकार के आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल की थीम पर लगा हुआ है।

इसलिए खास है ये मेला :-

सरस मेला महिलाओं को व्यवसाय करने के लिए प्रेरित करने में अहम भूमिका निभा रहा है। लखपति दीदी योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है।

मेले में राजस्थान, असम, तमिलनाडु, केरल, आन्ध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों की महिलाओं ने अपनी स्टॉल लगा रखी है। मेले में लखपति दीदी हैंडमेड शोपीस आइटम, हैण्डलूम साड़ियां, ज्वैलरी भी बेच रही हैं।

मेले मे खास :-

सरस मेले मे असम के बांस कला, बिहार की मधुबनी चित्रकला और सिक्की शिल्प, छत्तीसगढ़ की मोमबत्तियां तथा साबुन, गोवा व गुजरात के लकडी़ के खिलौने , सजावटी सामान, हरियाणा की धातु कला व मिट्टी के सामान, कर्नाटक के आभूषण, महाराष्ट्र के फुटविअर, ओड़िसा के साबई हस्तशिल्प , बिहार के स्वर्ण घास उत्पाद तथा चूड़ियां, पश्चिम बंगाल के जूट हैण्ड बैग्स आकर्षण का केन्द्र हैं।

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