सचिन पायलट बोले— लोकतंत्र की नींव तभी मजबूत, जब संस्थाएं मजबूत हों

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टोंक। टोंक में आयोजित कांग्रेस के बीएलए प्रशिक्षण कार्यक्रम में सचिन पायलट ने एक बार फिर भारतीय लोकतंत्र की बुनियाद और संवैधानिक संस्थाओं की सेहत पर तीखी टिप्पणी की। भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताने के बाद उन्होंने कहा— “कभी चुनाव आयोग रेगिस्तान और पहाड़ों में सिर्फ एक वोट के लिए भी मीलों चलता था, आज वही संवैधानिक संस्थाएं कमज़ोर की जा रही हैं। उनका निशाना साफ तौर पर केन्द्र की भाजपा सरकार पर था। पायलट ने कहा कि संस्थाओं की स्वायत्तता से ही लोकतंत्र खड़ा रहता है, लेकिन आज वही संस्थाएं “सेंधमारी” का शिकार हैं। उन्होंने राहुल गांधी द्वारा विभिन्न राज्यों की मतदाता सूचियों में “साजिशन की गई गलतियों” को उजागर करने का भी जिक्र किया और पूछा—“जब मतदाता सूची ही निष्पक्ष नहीं रहेगी, तो लोकतंत्र की ईमानदारी कैसे बचेगी?”
मुख्य चुनाव आयुक्त पर संशोधन और बिहार चुनाव पर सवाल
पायलट ने केन्द्र सरकार द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया में किए गए संशोधन को लोकतांत्रिक ढांचे के लिए खतरा बताया। उनका दावा था कि बिहार चुनाव के दौरान महिलाओं के खातों में 10-10 हजार रुपये डालने जैसी घटनाओं पर चुनाव आयोग चुप बैठा रहा—“निष्पक्षता धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है।”
उनके इस बयान में राजनीतिक व्यंग्य भी साफ झलकता था— एक तरह से वे यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि “सरकार अपनी सुविधा के अनुसार संस्थाओं को काम करवा रही है, और हम सब चुप हैं।”
पायलट का संदेश— बदलने से पहले खुद को बदलो
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र तभी सुरक्षित है जब नागरिक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें।उन्होंने कहा— “देश बदलने से पहले खुद को बदलना होगा। मतदाता सूची के पुनरीक्षण में सक्रिय रहना ही लोकतंत्र की रक्षा है।”
व्यंग्य के साथ संगठन को संदेश— नाम जोड़ो तभी टिकट मिलेगा
कार्यक्रम के राजनीतिक तापमान को बढ़ाते हुए पायलट ने संगठनात्मक अनुशासन पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा— “जो कार्यकर्ता मतदाता सूची में ज्यादा नाम जुड़वाएगा, उसे पंचायती राज और निकाय चुनाव में ज्यादा मौका मिलेगा।”
और फिर हल्का सा राजनीतिक मज़ाक—आमेर विधायक प्रशांत शर्मा की ओर देखते हुए बोले—“जो मेरे दाएं-बाएं घूमते हैं लेकिन सूची में नाम नहीं जोड़ते, उन्हें उम्मीदवार चयन में प्राथमिकता मत देना।”यह टिप्पणी आधा व्यंग्य, आधा संदेश थी— संगठन में केवल ‘नज़दीकी’ नहीं, ‘काम’ मायने रखेगा।
आतंकी हमले पर पायलट— “आतंकवाद फैलाने वाले डरपोक, कठोर कार्रवाई हो”
दिल्ली के लालकिले क्षेत्र में हुए बम ब्लास्ट पर पायलट ने कहा कि आतंकवाद किसी मजहब से नहीं जुड़ा होता, बल्कि यह कायरता का प्रतीक है।
उन्होंने कहा—“अगर किसी के खिलाफ सबूत मिले हैं तो शिक्षा हो या धर्म—कुछ नहीं देखा जाना चाहिए। भारत मजबूत देश है, जवाब देना आता है।”
यह बयान राष्ट्रीय सुरक्षा पर कांग्रेस के रुख को संतुलित तरीके से सामने लाता है— आलोचना भी, और कठोर कार्रवाई की मांग भी।
गहलोद पुल का निरीक्षण— तैयार प्रोजेक्ट जनता को सौंपे जाएं
कार्यक्रम के बाद पायलट ने टोंक में नवनिर्मित गहलोद पुल और न्यू हॉस्पिटल जैसे बड़े प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया। उन्होंने प्रशासन से कहा कि तैयार प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण जल्द कर जनता को समर्पित किया जाए। यह हिस्सा स्पष्ट रूप से पायलट के “डेवलपमेंट कार्ड” को मजबूत करने वाला था।
नेताओं ने दिए संबोधन : प्रशिक्षण शिविर में आमेर विधायक प्रशांत शर्मा, विधानसभा प्रभारी डॉ. सुमित गर्ग, जिला अध्यक्ष हरिप्रसाद बैरवा, संगठन महासचिव दिनेश चौरसिया, सीपी श्रीवास्तव, कैलाशी देवी मीणा और अन्य पदाधिकारियों ने संगठनात्मक सतर्कता, मतदाता सूची की शुचिता और बूथ प्रबंधन पर बोलते हुए कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी का अहसास कराया।
इनकी रही उपस्थिति : जिला सोशल मीडिया प्रभारी जर्रार खान ने बताया कि कार्यक्रम में रामविलास चौधरी, सऊद सईदी, कमल बेरवा, देवकरण गुर्जर, कुलदीप सिंह राजावत, फोजू राम मीणा, शैलेंद्र शर्मा, अब्दुल खालिक, राहुल सैनी, शब्बीर अहमद, सलीम नकवी, बजरंग लाल वर्मा, पंकज यादव, चेतन प्रकाश, युसूफ इंजीनियर, आमिर फारूक, अशोक सैनी सहित बड़ी संख्या में कांग्रेस पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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