उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदूषण की मार झेल रहीं संकटग्रस्त नदियों के पुनर्जीवन को जनांदोलन का स्वरूप देने की जरूरत पर जोर देते हुए बुधवार को कहा कि अब वक्त आ गया है कि हम नदियों के पुनरुद्धार को जिम्मेदारी के रूप में स्वीकार करें।राज्य सरकार द्वारा जारी बयान के मुताबिक मुख्यमंत्री ने नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग की समीक्षा करते हुए कहा, ‘‘मानव सभ्यता का विकास सदैव नदियों के किनारे ही हुआ है मगर जिन जीवनदायिनी नदियों के किनारे हमारी संस्कृति फली-फूली, उन्हीं नदियों को हमने अनियोजित शहरीकरण और प्रदूषण के हवाले कर दिया।’’
आदित्यनाथ ने प्रदूषण की मार झेल रहीं संकटग्रस्त नदियों के पुनर्जीवन को जनांदोलन का स्वरूप देने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब हम नदी पुनरोद्धार को केवल परियोजना नहीं, बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक चेतना और जिम्मेदारी के रूप में स्वीकार करें।मुख्यमंत्री ने कहा कि लखनऊ की गोमती, गाजियाबाद की हिंडन, काशी की वरुणा अथवा प्रदेश की अन्य कोई भी नदी – हर नदी के पुनर्जीवन के लिए मिशन मोड में कार्य करते हुए मिलकर प्रयास करने होंगे।उन्होंने निर्देश दिया कि नदी पुनरोद्धार के लिए मंडलायुक्तों की जिम्मेदारी तय की जाए और इस वर्ष के पौधरोपण कार्यक्रम विशेष रूप से नदियों के किनारे केंद्रित हों। यह कार्य केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि जनसहभागिता पर आधारित हो।



