आरबीआई ने लिया बड़ा फैसला, रेपो दर को 0.5 प्रतिशत घटाकर 5.5 प्रतिशत किया

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नई दिल्ली। आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी दे दी है। शुक्रवार को मुंबई से मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने बताया कि एमपीसी ने तरलता समायोजन सुविधा के तहत नीतिगत रेपो दर को 50 आधार अंकों से घटाकर 5.5 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है। इस वर्ष एमपीसी की बैठक चार जून को शुरू हुई थी। आरबीआई ने इस बैठक में फैसला किया है कि रेपो रेट को कम किया जाएगा। ये लगातार तीसरी बार है जब आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती की है। संजय मल्होत्रा ने कहा कि एमपीसी द्वारा अनुशंसित कटौती 50 आधार अंकों से 5.5 प्रतिशत तक है। यह तत्काल प्रभाव से लागू है।” आरबीआई गवर्नर ने यह भी बताया कि रेपो दर में कटौती का कारण यह है कि मुद्रास्फीति में नरमी आई है, निकट अवधि और मध्यम अवधि का संरेखण आरबीआई के दायरे में है, तथा खाद्य मुद्रास्फीति नरम बनी हुई है। परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा दर, जो कि एसडीएफ दर है, 5.25 प्रतिशत पर समायोजित हो जाएगी, तथा सीमांत स्थायी सुविधा एमएसएफ दर और बैंक दर 5.75 प्रतिशत पर समायोजित हो जाएगी। मल्होत्रा ​​ने कहा, “मौद्रिक नीति समिति की बैठक 4, 5 और 6 जून को हुई, जिसमें नीतिगत रेपो दर पर विचार-विमर्श किया गया तथा विकसित हो रहे व्यापक आर्थिक और वित्तीय घटनाक्रमों और आगामी आर्थिक परिदृश्य का विस्तृत आकलन किया गया।”

आरबीआई गवर्नर ने इस बात पर जोर दिया कि इस वित्तीय वर्ष में मुद्रास्फीति के अनुमान को संशोधित कर नीचे की ओर कर दिया गया है। वैश्विक परिदृश्य नाजुक बना हुआ है, तथा बहुपक्षीय एजेंसियों द्वारा वैश्विक वृद्धि के अनुमान को संशोधित कर नीचे की ओर कर दिया गया है। बढ़ती आर्थिक और वित्तीय प्रणालियाँ वैश्विक अर्थव्यवस्था को नया आकार दे रही हैं। मौद्रिक नीति समिति की 55वीं बैठक मानसून सीजन की शीघ्र एवं आशाजनक शुरुआत की पृष्ठभूमि में आयोजित की गई। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके विपरीत, वैश्विक पृष्ठभूमि नाजुक और अत्यधिक अस्थिर बनी हुई है। भारत के विकास, मुद्रास्फीति और घरेलू मांग में सुधार के सभी मोर्चों पर स्थिरता है। भारतीय अर्थव्यवस्था निवेशकों के लिए अपार अवसर प्रदान करती है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार, भारत की खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 3.16 प्रतिशत रह गई, जबकि मार्च में यह 3.34 प्रतिशत थी। मुद्रास्फीति में गिरावट ने इसे रिजर्व बैंक के 4 प्रतिशत के आरामदायक स्तर से नीचे ला दिया है, जिससे उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों पर नरम रुख अपना सकता है। 7, 8 और 9 अप्रैल को हुई पिछली एमपीसी बैठक में आरबीआई ने पहले ही रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती कर दी थी, जिससे यह 6.25 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत हो गई थी।

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