जयपुर। सरकार ने राज्य के सभी 41 जिलों में पंचायतों के पुनर्गठन और नई पंचायतों के गठन की अधिसूचना जारी कर दी है। इस निर्णय के साथ ही पूरे प्रदेश में पंचायतीराज व्यवस्था का नक्शा बदल चुका है। लगभग हर पंचायत की सीमाओं में बदलाव किया गया है, जिससे आने वाले समय में स्थानीय राजनीति से लेकर प्रशासन तक, कई स्तरों पर नए समीकरण देखने को मिलेंगे। नई पंचायतों के बनने से सरपंच, उपसरपंच और वार्ड पंचों के पदों में भी बड़ी बढ़ोतरी होगी। अब आगामी पंचायत चुनाव इन्हीं नई सीमाओं और बदले हुए ढांचे के अनुसार होंगे।
रेगिस्तानी जिलों में नई पंचायतों की संख्या सबसे अधिक बढ़ी है। बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, चूरू जैसे इलाकों में मापदंडों में दी गई छूट की वजह से अधिक पंचायतें बनाई गई हैं। रेगिस्तानी और आदिवासी क्षेत्रों की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए वहां की पंचायतें कई किलोमीटर के दायरे में फैली हुई थीं, जिससे ग्रामीणों को पंचायत मुख्यालय जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। राशन, सरकारी दस्तावेज, प्रमाणपत्र और ग्राम सचिव से जुड़े कामों के लिए उन्हें कई किलोमीटर सफर करना पड़ता था। अब नई पंचायतों के गठन के बाद पंचायतों की सीमाएँ छोटी होंगी और लोगों को मुख्यालय तक पहुंचना आसान हो जाएगा। इससे ग्रामीणों का समय बचेगा और उन्हें सरकारी सेवाओं का लाभ अधिक सहज रूप से मिल सकेगा।
इस पुनर्गठन का एक बड़ा असर रोजगार के क्षेत्र पर भी होगा। नई पंचायतों के गठन से ग्राम सचिव, पंचायत सहायक, पटवारी और अन्य सहायक कर्मचारियों के नए पद सृजित होंगे। जितनी नई पंचायतें बनी हैं, उतने ही नए कर्मचारियों की आवश्यकता होगी। इस कारण से शिक्षित बेरोजगारों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और आने वाली भर्तियों में भी पदों की संख्या इसी आधार पर बढ़ाई जाएगी।
कुल मिलाकर, पंचायतों के पुनर्गठन का यह निर्णय ग्रामीण व्यवस्था को अधिक सुगम बनाने, प्रशासनिक पहुंच को बेहतर करने और रोजगार के नए अवसर पैदा करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।



