जयपुर | राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को पुलिसकर्मियों के साप्ताहिक अवकाश का मुद्दा गरमा गया। भाजपा विधायक भैराराम चौधरी के सवाल पर गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने स्पष्ट किया कि पुलिसकर्मियों के लिए साप्ताहिक अवकाश की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इस जवाब पर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कड़ा विरोध जताया और सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि “यह ऑन रिकॉर्ड है कि डीजीपी ने पूरे प्रदेश में साप्ताहिक अवकाश के निर्देश जारी किए थे, यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा था। जो चीज रिकॉर्ड में है, उसका गलत जवाब मत दीजिए।”मंत्री बेढम ने सफाई देते हुए कहा कि साप्ताहिक अवकाश केवल एक थाना विशेष— गैगल थाना— के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया था, जबकि पुलिसकर्मियों को हर साल 25 दिन का आकस्मिक अवकाश (कैजुअल लीव) दिया जाता है। लेकिन विपक्ष इससे संतुष्ट नहीं दिखा और सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया।
खाद्य सुरक्षा और एमएसपी पर हंगामा
खाद्य विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान बाजरे की सरकारी खरीद का मुद्दा भी जोर-शोर से उठा। विपक्ष ने सरकार को घेरते हुए कहा कि “पिछली बार सरकार ने एमएसपी पर खरीद की संभावना तलाशने का आश्वासन दिया था, लेकिन खरीद नहीं हुई।”साथ ही खाद्य सुरक्षा योजना के तहत सस्ता राशन लेने वाले पात्र लाभार्थियों के नाम काटे जाने और लाखों जरूरतमंदों को अब तक राशन नहीं मिलने को लेकर कांग्रेस विधायकों ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया। चर्चा के दौरान कांग्रेस और भाजपा के कई विधायकों के बीच तीखी बहस देखने को मिली।
आईटी नीति पर कटाक्ष, निवेश को लेकर दावा
उद्योग मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कांग्रेस शासनकाल की आईटी नीति पर तंज कसते हुए कहा, “हमने डेटा पॉलिसी और भामाशाह डेटा सेंटर बनाया, जबकि आपके समय आईटी विभाग सोने की अलमारी के लिए जाना जाता था। अब वह टूरिस्ट प्लेस बन गया है कि आखिर वह अलमारी कौन सी थी?”उन्होंने दावा किया कि “राजस्थान के 35 लाख करोड़ के एमओयू में से 2.25 लाख करोड़ को धरातल पर उतारने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। सीएम जब जवाब देंगे, तब तक यह आंकड़ा 3 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है।” इसके विपरीत, कांग्रेस राज में 12.50 लाख करोड़ के एमओयू में से केवल 28 हजार करोड़ ही धरातल पर उतरे थे।