झालावाड़। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग एवं सुशीला देवी चेरिटेबल सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को जनजागरूकता एवं नशा मुक्ति कार्यशाला का आयोजन श्रीमती विजया राजे सिंधिया राजकीय खेल संकुल में किया गया।
कार्यशाला में उपस्थित युवाओं को सम्बोधित करते हुए जिला कलक्टर अजय सिंह राठौड़ ने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से आज सभी ने नशे के दोनों पहलुओं को जाना है जिसमें एक व्यक्ति जो नशा करने के कारण अपने जीवन में पैसा, इज्जत, रिश्ते सब कुछ खो चुका था, वही व्यक्ति आज नशा छोड़ने के बाद शान से सिर ऊंचा करके एक रोल मॉडल के रूप में अपना जीवन जी रहा है।
उन्होंने कहा कि कोई भी नशे के रास्ते को नहीं अपनाएं और न ही ऐसी संगत में रहे और ऐसे मित्र बनाएं जो आपको नशे के रास्ते पर ले जाने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि वे लोग जो नशा करते हैं वो स्वयं को बदले, नशा छोड़े और फिर दूसरों को भी नशा छोड़ने के लिए जागरूक करें।
इस दौरान पुलिस अधीक्षक ऋचा तोमर ने नशा मुक्ति के लिए जागरूकता हेतु कार्यशाला के आयोजन के लिए स्वास्थ्य विभाग को बधाई देते हुए कहा कि नशा करने वालों से नशा छुड़वाने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति की आवश्यकता होती है जो हर किसी में नहीं होती, इसलिए यह प्रयास करें कि नशे से दूर रहें और इसको अपने जीवन का हिस्सा न बनाएं।
उन्होंने कहा कि समाज में नशे के साधनों की स्वीकृति बंद हो यह आवश्यक है। झालावाड़ एक ऐसा जिला है जहां मादक पदार्थ बनाए भी जाते हैं और मध्यप्रदेश से जुड़ाव के कारण मादक पदार्थों का परिवहन भी बड़ी मात्रा में यहां से होता है। इसलिए युवाओं को अधिक सतर्क रहकर नशे से दूर रहने का प्रयास करना होगा। उन्होंने कहा कि नशे के कारण ही छोटे-छोटे अपराध बढ़ रहे हैं जिसका बुरा प्रभाव अपराध करने वाले व्यक्ति के पूरे परिवार पर पड़ता है। पुलिस विभाग द्वारा नशे के विरूद्ध कार्यवाही करने में किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरती जा रही है चाहे नशा करने वाला बच्चा हो, युवा हो या बुर्जुग हो।
कार्यशाला में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. साजिद खान ने कहा कि बताया कि जिले को नशे से मुक्त करने के लिए जिला कलक्टर एवं पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में वृहद अभियान चलाकर जन-जागरूकता गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। समय-समय पर औचक निरीक्षण कर नशा करने वालों तथा उनका विक्रय करने वालों पर भी कार्यवाही की जा रही है। नशे की शुरूआत जहां से होती है ऐसे स्थानों, विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं मेडिकल कॉलेज में बच्चों को नशे से दूर रहने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
इस दौरान जिला औषधि नियंत्रक अधिकारी संदीप केले ने दवाईयों के दुरूपयोग से नशे की पूर्ति के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि व्यक्ति के शरीर में जब डोपामिन व निकोटिन रिलिज होता है तब उसे नशे की आवश्यकता का अहसास होता है और वह नशे के साधनों को अपनाकर धीरे-धीरे नशे पर निर्भर हो जाता है। उन्होंने कहा कि अपने शरीर के डोपामिन व निकोटिन को कन्ट्रोल करने के लिए नशे के स्थान पर अन्य उपाय अपनाएं जैसे नींद पूरी लेना, मधुर संगीत सुनना आदि।
कार्यशाला में मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. शकील अंसारी ने नशे के दुष्प्रभावों की जानकारी देते हुए बताया कि व्यक्ति अपनी कार्य क्षमता बढ़ाने के लिए पूर्ण रूप से नशे पर निर्भर हो जाता है। उसकी सोच होती है, कि बिना नशे के वह अपना कोई कार्य पूर्ण क्षमता के साथ नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि नशा मुक्ति के लिए लोगों में जागरूकता लाना बहुत जरूरी है। इस दौरान जनाना अस्पताल के उपाधीक्षक एव कैंसर विभाग के एचओडी डॉ. अशोक नागर ने तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट एवं अन्य मादक पदार्थों के सेवन से होने वाले मुँह के कैंसर सहित अन्य बीमारियों के बारे में बताते हुए कहा कि नशा करना मौत को गले लगाना है इसलिए इससे दूर रहें और नशा करने वाले नशा छोड़ें।

जनजागरूकता एवं नशा मुक्ति कार्यशाला का हुआ आयोजन
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