23 नवंबर यानी महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों का दिन। परिणामों के रूझान सामने आए तो शिवसेना के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। महायुति के पक्ष में जनता ने भर-भर के वोट दिया है और उन्हें 200+ सीटें मिलती नजर आ रही हैं। रूझान अगर परिणामों में तब्दील होते हैं तो130 सीटों पर कमल खिलता नजर आ रहा है। जबकि उद्धव गुट वाली शिवसेना 19 सीटों पर सिमट कर रह सकती। लेकिन महाराष्ट्र के सियासी बैटल के सबसे बड़े खिलाड़ी तो वो नेता बनकर उभरे जिन्हें चुनाव के दौरान मंचों से उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ने गद्दार कहकर हर बार संबोधित किया। लेकिन अब ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र के लोगों ने गद्दार को ही असली हकदार मान लिया। उद्धव ठाकरे को हिंदुत्व का एजेंडा विरासत में मिला था, लेकिन अभी तो लगता है जैसे सब कुछ गवां दिया हो। महाराष्ट्र की जिन 38 सीटों पर दोनो सेनाएं आमने सामने थीं, एकनाथ शिंदे ने 68 फीसदी यानी 26 सीटों पर जीत रहे हैं, और उद्धव ठाकरे के हिस्से में सिर्फ 9 सीटें यानी 32 फीसदी सीटें आने का अनुमान है। साल 2019 के फ्लैशबैक में आपको लिए चलते हैं जब बीजेपी एक बार फिर से राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। उसके बरक्स अविभाजित शिवसेना लगभग आधी के बराबर थी। ऐसे में सवाल ये था कि बीजेपी किसके साथ मिलकर सरकार बनाई। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के शपथ ग्रहण के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने फोन कर समारोह में शामिल होने का निमंत्रण दिया। उद्धव आए लेकिन न उनके पीछे शिवसेना की हनक थी और न बाल ठाकरे के दौर की ठसक थी। उद्धव खचाखच भरे स्टेडियम में मायूस आंखों से तलाशते रहे वो स्टारडम जो उनके पिता के दौर में हुआ करता था। वानखड़े स्टेडियम में जो नजारा उद्धव ठाकरे ने अपनी आंखों से देखा उसने यह एहसास तो करा दिया कि अब शिवसेना को या तो गुजराती अमित शाह के इशारे पर चलना है या तो कमांडर नरेंद्र मोदी के दिखाए गए राह पर चलना है। या तो पवार की हथेली पर नाचना है या फिर इन सब से इतर शिवसेना को फिर से खड़ा करना है जो कभी सपना पांच दशक पहले बाला साहेब ने देखा था।

महाराष्ट्र के लोगों ने ‘गद्दार’ को ही माना असली हकदार : शिंदे
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